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बिहार को मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा?

06 29 बिहार को मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा?

नई दिल्ली। बिहार में विशेष राज्य की मांग को लेकर सियासत जोरों पर है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए इस मागं को लेकर नीतीश कुमार के साथ विपक्ष की राय भी एक हो गई है। अब ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या वाकई बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए अगर हा..तो क्यो और अगर नहीं..तो क्यो नहीं आज इसी पर कुछ तथ्य आपके लिए लाए है।

06 29 बिहार को मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा?

क्या होता है विशेष राज्य

सबसे पहले तो आपको बताते है कि विशेष राज्य आखिरकार होता क्या है..विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को मिलता है जो भूगौलिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से पिछड़े हो, जिनमें विकास की संभावनाएं कम हो..गरीबी अपने चरम पर हो..शिक्षा का अभाव हो इत्यादि कुल मिलकर जिन राज्य की आर्थिकृ, सामाजिक और भूगौलिक दशा खराब हो उन राज्यों का विकास करने के लिए तथा उन राज्यों को बाकी राज्यो की तरह बनाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है जिससे ऐसे राज्य अपना विकास कर सके। जिसकी मांग बिहार में खूब जोर शोर से उठ रही है। बिहार जैसे ग़रीब राज्यों के समावेशी विकास के लिए विशेष राज्य की मांग हाल के कुछ बरसों में काफ़ी सुर्ख़ियों में रही है।

क्या बिहार को जरुरत है

रघुराम राजन समिति की ओर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। जिसके खिलाफ बिहार की ओर से इस फैसले पर असहमति जताई गई है। पर सवाल ये उठ रहा है कि क्या बिहार को मिलना चाहिए…? बिहार भारत का दूसरा ज्यादा आबादी वाला गरीब राज्य है। जहां अधिकांश लोगों की जीविका खेती पर निर्भर करती है। और समुचित सिंचाई के अभाव में मॉनसून, बाढ़ और सूखे के बीच निम्न उत्पादकता वाली खेती ही इनकी प्रमुख जीविका बन कर रह जाती है।

हर साल आने वाली बाढ़ से इन किसानों की खेती बर्बाद हो जाती है। और ऐसे में 32 फीसदी लोग ऐसे है जिनके पास खुद की खेती नहीं है।
38 ज़िलों में से लगभग 15 ज़िले बाढ़ क्षेत्र में आते हैं जहां हर साल कोसी, कमला, गंडक, महानंदा, पुनपुन, सोन, गंगा आदि नदियों में आने वाली बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति, जान-माल, आधारभूत संरचना और फसलों का नुक़सान होता है। कोसी नदी बिहार में काफी तबाई मचाती है।

बुनियादी चीजों का अभाव

बिहार में बाढ़ के साथ साथ यहां बुनियादी चीजों का भी काफी अभाव है सड़क, बिजली, सिंचाई, स्कूल, अस्पताल, संचार आदि हर साल बुनियादी चीजों के लिए भी यहां काफी चुनौती है।  पर इसी से साथ सात-आठ सालों में बिहार की सालाना विकास दर अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर रही है जिसकी वजह से अब ऐसा कहा जा रहा है कि जब बिहार की विकास दर ऊंची रही है तो क्यों विशेष दर्जा चाहिए?

निवेश की जरुरत

निर्माण, यातायात, संचार, होटल, रेस्तरां, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाओं ने बिहार की विकास दर में एक परिवर्तन लाया है क्योकि बिहार में इन चीजों से विकास दर बढ़ी है। खेती, उद्योग और जीविका के अन्य असंगठित क्षेत्रों में, जिन पर अधिक लोग निर्भर हैं, विकास की दरों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सकारात्मक प्रयास अवश्य हुए हैं जिससे सामाजिक विकास के ख़र्चों में महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी भी हुई है। लेकिन बात करे विकसित राज्यों की तुलना में तो बिहार उनसे अभी भी पिछड़ा है। लेकिन इस पिछड़ेपन को दूर करने के लिए बिहार को निवेश की जरुरत है।

विशेष राज्य के दर्जे की जरुरत

विशेष राज्य का दर्जा किसी भी विशेष राज्य में करों में विशेष छूट दिलाता है जिससे उस राज्य में निवेश की संभावना बढ़ जाती है। और विकास की संभावना बढ़ जाती है। ग़रीब राज्यों की केंद्रीय संसाधनों में हिस्सेदारी बढ़ाने का आधार विकसित करने की ज़रूरत है, तब ही ये राज्य ग़रीबी निवारण के लिये आवश्यक विकास दर बनाए रख सकते हैं।

किसी भी राज्य का संबध उसके देश से होता है रीब राज्यों का तेज़ी से विकास ही देश की गिरती विकास दर को थाम सकता है और क्षेत्रीय विषमता को पाटने में कारगर हो सकता है। इसलिए ग़रीब राज्यों के वित्तीय प्रावधानों को बदलने के लिये विशेष राज्य का दर्जा समावेशी विकास के लिये ज़रूरी है।

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