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बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा

nitish kumar photo बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा

नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने गुरुवार को छठी बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली आइए जानते है क्या है नीतीश कुमार के जीवन का सफरनामा। बेहद गंभीर और नाप तोल की बातें करने वाले नीतीश कुमार अपने साधारण और ईमानदार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते है बिहार की जनता के बीच अच्छी छवि बनाने वाले नीतीश कुमार का जीवन काफी संघर्ष भरा है उन्होंने कभी भी अनैतिक और अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया। धैर्य और सोच समझकर अपना फैसला लेने वाले नीतीश ने खई ऐसी कड़ी पार की है जिसकी बदौलत ही उन्होंने इतिहास रचा है उनके राजनीतिक सफर की कुछ बातें जिन्होंने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है।

nitish kumar photo बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा
nitish kumar

नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता पार्टी के साथ शुरु की 1977 में जब देश में जनता पार्टी की सरकार थी उस वक्त पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ने के बाद नीतीश कुमार चुनाव हार गए थे फिर 1980 में विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा इस हार ने उन्हें काफी कुछ सिखाया।

नीतीश कुमार के पिता जी जो कि सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के बेहद करीबी थे लेकिन उन्होंने कभी नहीं बताया कि उनका बेटा भी राजनीति में हैं जब सत्येन्द्र नारायण सिन्हा 1985 में नीतीश के प्रचार के लिए इलाके में पहुंचे तब उन्हें यह बात पता चली।

नीतीश कुमार फिर से 1985 में विधानसभा चुनाव लड़े और विजयी रहे और 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने।
फिर नीतीश कुमार 1989 जनता दल के प्रदेश सचिव बने और इसी दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव मे जीत दर्ज की।
1995 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की समता पार्टी चुनाव लड़ी लेकिन बुरी तरह हार गई। नीतीश की पार्टी के लोग इधर-उधर चले गए लेकिन नीतीश के हौसले में कोई कमी नही आई। अगस्त 1999 में गैसेल में हुई रेल दुर्घटना के बाद नीतीश कुमार ने रेल मंत्री पद छोड़ दिया इसके बाद 2014 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

नीतीश कुमार ने 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन सात दिनों के भीतर ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इन सब के बावजूद नीतीश कुमार कभी डरे नहीं अपने दृढ़ इरादे के साथ आगें बढ़े और इस मंजिल तक पहुंचे।

lalu nitish बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा
nitish kumar and lalu yadav

लालू और नीतीश का सफरनामा

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की पहचान तब बनी जब वे पहली बार 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तब अपना काम वो खुद ही करते थे उन्होंने बताया कि बाबरी विध्वंस केस के बाद जब पटना सिटी के कुछ इलाकों में दंगा भड़का तब पूरा कमान लालू प्रसाद ने खुद अपने हांथों में ले लिया था कई बार तो ऐसा होता था कि घटना घटित होने पर पुलिस बाद में पहुंचती थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पहले पहुंच जाते थे लालू प्रसाद सुनते सबकी थे पर उनकी नजरें हमेशा लक्ष्य पर टिकी होती थी।

बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्में प्रसाद ने राजनीति की शुरुआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी थे 1977 में आपातकाल के पश्चात हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे।

1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। लालू यादव के जनाधार में एमवाई यानी मुस्लिम और यादव फैक्टर का बड़ा योगदान है और उन्होंने इससे कभी इन्कार भी नहीं किया है। अलबत्ता इस बार उन्होंने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत ही अगड़ा बनाम पिछड़ा के आधार पर किया। सात दिनों के लिए नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पाई एक बार फिर राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मंत्री बने 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद एक बार फिर किंग मेकर की भूमिका मे आए और रेलमंत्री बने। 1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद मुश्किल में पड़ गई।

2010 के विधानसभा चुनाव में भी लालू प्रसाद को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली उनकी अपनी पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सोनपुर और राघोपुर दोनों स्थानों से चुनाव हार गई और पूरी पार्टी 24 सीटों पर ही रह गई लेकिन लालू यादव ने हार नहीं मानी 2014 के लोकसभा चुनाव में यादव को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली लेकिन 77 फीसदी क्षेत्रों में भाजपा गठबंधन को करारी चुनौती देने में वे कामयाब जरुर हुए इसी वजह से जदयू और राजद में गठबंधन की शुरुआत हुई।

चारा घोटाला मामले में दोषी पाए जाने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ सकते लिहाजा उन्होने स्वंय को किंगमेकर के रुप में स्थापित कर लिया इस क्रम में बनारस और कोलकात्ता में विजय रैली मनाने की बात कह उन्होंने देश की राजनीति में अपनी हैसियत बढ़ाने का प्लान तैयार कर लिया है।

नीतीश कुमार ने राजग के शासनकाल में अपने मंत्रिमंडल में रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का नाम लिए बगैर उनपर निशाना साधते हुए कहा था कि कल तक साथ थे तो मैं पीएम मेटेरियल था अब अलग हो गए हैं तो मैं किसी के काम का नहीं हूं उनकी किसी बात पर मेरा ध्यान नहीं है उनकी पृष्ठभूमि हमें ज्ञात है हमारी पृष्ठभूमि आजादी की लड़ाई है हमारे खून दिलो दिमाग में आजादी की लड़ाई के मूल्य है जो हमारे राष्ट्र नायकों ने स्थापित किए हैं जो हमेशा मौजूद रहते हैं उनके कोई मूल्य नहीं है।

महिला 80 बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा
samta party ka gathan

समता पार्टी का गठन

साल 1994 में जब नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाने के लिए लाू यादव का साथ छोड़ा था तो अच्छी खासी संक्या में जनता दल के समर्थक पार्टी छोड़ कर उनके साथ आ गए थे। 1995 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार नेभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन कर पहली बार अलग चुनाव लड़ था तो कहीं इसकी चर्चा भी नहीं हुई। 12 जून 2010 को नीतीश कुमार ने पटना में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के लिए रात्रिभोज का कार्यक्रम रद्द कर दिया। थोड़े समय बाद नीतीश कुमार गुजरातल सरकार को दान में मिले पांच करोड़ रुपए की रकम वापस कर दिया था बीजेपी में इस बात को लेकर काफी निराशा थी।

झटका उस वक्त लगा जब बीजेपी के किसी भी मंत्री पर न तो भ्रष्टाचार का कोई आरोप था और न ही सरकार का कामकाज ठीक से न करने का आरोप इसके बावजूद भी उन्होंने सभी मंत्रियों को बिना कारण बताए मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया तो उनके चाहने वाले भी उनसे नफरत करने लगे और उन्हें वो वो सुनना पड़ा जो लोग लालू यादव के बारें में भी नहीं बोले।

नीतीश कुमार को जब लगा कि उनके छवि पर बेहद दाग लग रहे है तब लालू प्रसाद यादव के साथ उन्होंने हाथ मिला लिया क्योकिं उन्हें पता था लालू के पास वोट बैंक है। इसके बाद आरजेडी, जेडीयू, और कांग्रेस के बीच महागठबंधन हुआ और बिहार की 243 में से 178 सीटें इनकी झोली में आ गिरी अगर तीनों पार्टियां अलग होकर लड़ती तो इनके लिए 78 सीटें जीतना मुश्किल था।

 

महिला 78 बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सफरनामा
सृष्टि विश्वकर्मा

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