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किसान आंदोलनः किसान नेताओ की बड़ी बैठक आज, जानें क्या बोले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

a5a41e7f 7915 441e 8696 70fc5e5f2e65 किसान आंदोलनः किसान नेताओ की बड़ी बैठक आज, जानें क्या बोले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

नई दिल्ली। देश में कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को आज 53वां दिन हैं। जिसके चलते बीतों दिनों में किसान संगठन और सरकार के बीच 9 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन किसी में भी कोई समाधान नहीं निकला है। किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर अभी भी दिल्ली के चारों ओर बैंठे हुए हैं। किसाी आंदोलन का मुद्दा जब सुप्रीम कोर्ट पहुंख तो कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी। जिसके बाद अब भी किसान दिल्ली की सीमा के चारों ओर डटे हुए हैं। इसी बीच आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का किसानों को लेकर बड़ा बयान सामने आ रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर रोक लगा दी है, तब किसान धरने पर क्यों हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून पर रोक लगाने के बाद भी धरना क्यों- कृषि मंत्री

बता दें कि किसान आंदोलन दिनों दिन उग्र होता जा रहा है। आए दिन किसान संगठनों द्वारा धीरे-धीरे सरकार का विरोध किया जा रहा है। इसी बीच जब 9 दौर की वार्ता में कोई हल न निकला तो एक बार फिर सरकार की तरफ से वार्ता करने की कोशिश की जा रही है। जिसके चलते 10वें दौर की वार्ता सरकार और किसान संगठनों के बीच 19 जनवरी को होगी। इसके साथ ही किसान संगठन 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने वाले हैं। जिसके लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होनी है। इसी बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर रोक लगा दी है, तब किसान धरने पर क्यों हैं। कानून रद्द करने के अलावा कोई दूसरी मांग है तो किसान बताएं, सरकार खुले मन से चर्चा करेगी। कोई भी कानून पूरे देश के लिए बनता है। अदालत ने अभी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है, कोई बात है तो कमेटी के सामने भी रख सकते हैंं।

इन कानूनों पर सहमत हुई सरकार- कृषि मंत्री

इसके साथ ही कृषि मंत्री ने आगे यह भी कहा कि हमने किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण और अन्य के बारे में उनकी आशंकाओं को दूर करने पर सहमत हुए थे। सरकार भी पराली जलाने और बिजली से जुड़े कानूनों पर चर्चा करने के लिए सहमत हुई थी। लेकिन यूनियनें केवल कानूनों को निरस्त करना चाहती हैं।

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