उत्तर प्रदेश सरकार से करोड़ों कर उधार लेने वाले कई विभागों के पास खर्च की गई राशि का हिसाब नहीं है। इसका खुलासा सीएजी रिपोर्ट में हुआ है। जिसमें साफ हुआ है की करीब दर्जनभर विभाग ऐसे ही जिन्होंने सरकार से अनुदान लिया है। लेकिन वह अनुदान राशि कहां खर्च हुई है। इसका हिसाब अभी तक नहीं दे पाए।
23832 करोड़ हिसाब का विभागों के हिसाब नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी विभाग सरकार को कैसे अंधेरे में रखकर बड़ी हेराफेरी कर रहे है। इसका खुलासा सीएजी रिपोर्ट में हुआ। दरअसल सीएजी रिपोर्ट में यह साफ हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार के करीब दर्जनभर विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने सरकार से अनुदान में राशि ली, लेकिन उसका ब्यौरा अभी तक नहीं दे पाए। ऐसे करीब दर्जनभर विभाग है। इनके पास खर्च का ब्यौरा नहीं है। हालात ऐसे है की विभागों के द्वारा करीब 23832 करोड़ रुपए का हिसाब अभी तक नहीं दिया गया है। सीएजी रिपोर्ट में साफ हुआ है कि 31 मार्च 2019 को अनुदान संबंधित 23832 करोड़ रुपए का हिसाब किताब यानी उपभोग प्रमाण पत्र विभागों को दे देना था। लेकिन अभी तक विभागों की तरफ से इससे संबंधित जानकारी नहीं दी गई। यह खुलासा सीएजी की वित्तीय वर्ष 2018-19 से संबंधित द्वितीय खंड की रिपोर्ट से हुआ। दरअसल कल यह मामला विधान परिषद के पटल पर रखा गया था। जिसमें जानकारी सामने आई थी कि कई वर्षों पूर्व दिया गया अनुदान का हिसाब कई विभागों के द्वारा नहीं किया गया। जिससे यह आशंका जताई जा रही है की अनुदान राशि का गलत उपयोग भी किया जा सकता है।
क्या है नियम
सरकार की तरफ से विभागों को अनुदान में राशि किसी विशेष कार्य के पूर्ण हेतु दी जाती है और उसके लिए विभाग सरकार से अनुदान के रूप में एक धनराशि प्राप्त करते हैं। इसके बाद संबंधित विभागीय अधिकारी को धनराशि प्राप्त करने वालों से उपभोग प्रमाणपत्र प्राप्त करना चाहिए या विभागीय अधिकारी ही प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर महालेखाकार को भेजता है। इसके साथ साथ यह भी नियम है कि अनुदान की राशि स्वीकृति की तिथि से 12 महीने में खर्च होने चाहिए और सक्षम अधिकारी 18 महीने के अंदर उपभोग प्रमाण पत्र महालेखाकार को भेज देना चाहिए। लेकिन इन नियमों की अनदेखी विभागों के द्वारा की गई। हालात ऐसे है की 12 महीने तो दूर की बात है इस दौरान करीब 3 से 4 साल तक का ब्यौरा विभागों की तरफ से नहीं दिया गया।
सबसे ज्यादा इन विभागों की बकाया धनराशि
सीएजी रिपोर्ट में अनुदान राशि का विवरण न देने वालों में इन विभागों के पास सबसे ज्यादा अनुदान राशि है। जिनमें इन विभागों के द्वारा अभी तक खर्च की गई राशि का ब्यौरा अभी तक नहीं दिया गया है। जिनमें प्रमुख हैं – शहरी विकास विभाग, प्राथमिक शिक्षा, पंचायती राज, माध्यमिक शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास है।