लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा ने प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को पत्र प्रेषित करते हुए मांग की है कि प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग और स्थानीय निकायों सहित अन्य विभागों के कार्यरत फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स व उनके परिवार के सदस्यों के संक्रमित होने पर प्रदेश के समस्त कोविड चिकित्सालयों में बेड को आरक्षित किया जाए।
अतुल मिश्रा ने बताया कि वर्तमान परिवेश में कोरोना के बहुत तेजी से बढ़ते हुए संक्रमण पर काबू पाने में प्रदेश का लाखों कर्मचारी अपनी व अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर फ्रंट लाइन में खड़ा होकर सरकार का साथ दे रहा है।
कर्मचारियों की कुछ जायज़ समस्याओं को लेकर पूर्व में भी सरकार व शासन के अधिकारियों को पत्र के माध्यम से समाधान हेतु अनुरोध किया गया। जैसे उसके संक्रमित होने पर उपचार व्यवस्था, ड्यूटी के दौरान क्वारन्टीन हेतु पूर्व की भांति होटलों में क्वारन्टीन की व्यवस्था, मार्च माह के वेतन आदि का भुगतान करने की मांग की गई। परन्तु सरकार द्वारा कोई भी रुचि न लेते हुए कोई निर्देश नही जारी किए गए, जो कदापि उचित नहीं है।
श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में प्रतिदिन पदाधिकारियों व सैकड़ों कर्मचारियों के द्वारा दूरभाष पर अवगत कराया जा रहा है कि कोविड टेस्ट के दौरान पी पी ई किट नही मिल रही, फील्ड में जांच के दौरान वाहन नही उपलब्ध कराए जा रहे, क्वारन्टीन व्यवस्था सुदृढ़ नहीं है। कर्मचारियों की कमी के कारण अतिरिक्त कार्य का बोझ, इसी के साथ सबसे गम्भीर प्रकरण प्रकाश में आ रहा कि डयूटी के दौरान संक्रमित होने पर कोरोना वारियर्स को किसी भी चिकित्सालयों में बेड की उपलब्धता न होना दर्शा कर उपचार भी नहीं प्राप्त हो पा रहा।
सरकार की इस नीति से प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारी व उनके परिवार दिवंगत हो गए। जिससे कर्मचारी वर्तमान में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। सरकार यदि कोरोना वारियर्स व उनके परिवार के विषय में गम्भीर चिंतन नही करती है तो निश्चित रूप से बहुत भयावह दृश्य प्रदेश का हो जाएगा।
परिषद ने मुख्यमंत्री से मांग किया कि कोरोना वारियर्स व उनके परिवार के संक्रमित होने पर प्रदेश में चिन्हित सरकारी गैर सरकारी चिकित्सालयों/विशिष्ठ संस्थानों में कुल बेड का 10 प्रतिशत बेड आरक्षित किया जाए। जिससे वे अपने व परिवार को सुरक्षित मानकर पूरे मनोबल से कार्य सम्पादित कर सके। आज कर्मचारी व उसका परिवार भयावह स्थिति को देखकर भयभीत है।
उन्होंने 18 अप्रैल को घटित घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि बलिया जनपद में बैरिया तहसील, पीएचसी कोटवा के डॉक्टर सहित स्वास्थ्य कर्मचारियों के ऊपर लोगों ने पत्थर व लाठी डण्डे से हमला कर दिया।
जिससे वे लोग बुरी तरह चोटिल हो गए। सीएचसी सोनबरसा में उनका इलाज चल रहा है जिससे जनपद के समस्त कर्मचारियों में भय व आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक है।
परिषद के अध्यक्ष सुरेश, महामंत्री अतुल मिश्रा व उपाध्यक्ष सुनील यादव ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि कर्मचारियों से सम्बंधित इन सब विषयों पर तत्काल प्रभावी समयबद्ध कार्यवाही करने हेतु निर्देशित करें। यदि सकरात्मक पहल नहीं की जाती है तो निश्चित रूप से परिषद को इस गम्भीर मुद्दों पर बैठक आहुत कर कठोर निर्णय लेना पड़ेगा।
जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व सरकार व शासन का होगा। यदि स्वास्थ विभाग के चिकिसक व पैरामेडिकल कर्मचारी सहित अन्य आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों का मनोबल टूटा या हतोत्साहित हुआ तो इस वैश्विक महामारी से सामना कर पाना कठिन ही नहीं असम्भव सा हो जाएगा। सरकार द्वारा कुछ पहल ऐसी भी होनी चाहिए कि कोरोना वारियर्स का मनोबल बना रहे।