नई दिल्ली। दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला के विद्रोह व राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग को कांग्रेस आलाकमान ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी को शुक्रवार शाम को ही दिल्ली बुला लिया गया था। कयास लगाया जा रहा है कि पार्टी अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करेगी।
जहां एक तरफ गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल व अध्यक्ष जीतूभाई वाघाणी की अगुवाई में 10 हजार गांवों में नर्मदा यात्रा महोत्सव की तैयारी कर रही है, वहीं वाघेला के पार्टी छोड़ देने के बाद कांग्रेस बडे़ रणनीतिक बदलाव की तैयारी में जुटी है। प्रदेश अध्यक्ष सोलंकी, प्रभारी अशोक गहलोत, पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया, सिद्धार्थ पटेल व अन्य वरिष्ठ नेताओं की कोर कमेटी को पूरी छूट देकर वाघेला की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
कांग्रेस, वाघेला के पुत्र विधायक महेंद्र वाघेला व समर्थक 10 विधायकों पर कार्यवाही से बच रही है लेकिन उनकी गतिविधियों पर नजर रखेगी।चुनाव नहीं लड़ेंगे वाघेला कांग्रेस छोड़ने के बाद वाघेला गुजरात की राजनीति में सक्रिय तो रहेंगे लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे। राकांपा, जदयू, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अलपेश ठाकोर यदि साथ आते हैं तो वाघेला राज्य में प्रेशर ग्रुप के रूप में उनको प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएंगे। वाघेला किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उन्होंने ऐसा वादा किया है, लेकिन एक थर्ड फ्रंट बनाकर वे गुजरात की राजनीति को जरूर प्रभावित करेंगे।