नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही कांग्रेस को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने तगड़ा झटका दिया है। उप राष्ट्रपति ने कांग्रेस के महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इससे नाराज कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते क्योंकि उनके पास प्रस्ताव की योग्यता के निर्धारण करने का अधिकार नहीं है।
सुरजेवाला ने कहा कि क्वासी ज्यूडिशियल या एडमिनिस्ट्रेटिव पावर के बिना वेंकैया नायडू प्रस्ताव के मैरिज के बारे में फैसला नहीं ले सकते। उन्होंने आगे कहा कि जैसे कि राज्यसभा के सभापति ने बताया कि अगर सभी आरोप इन्क्वायरी में पहले ही साबित करने पड़ते तो फिर कांस्टिट्यूशन एंड जजेद एक्ट की कोई जरूरत वहीं रह जाती। इससे पहले विपक्षी दलों ने इस बात का संकेत दिया था कि अगर महाभियोग नोटिस को खारिज किया जाता है तो उसके खिलाफ पार्टी अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
कांग्रेस और छह विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को दुर्व्यवहार के पांच आधार पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने का नोटिस दिया था। ऐसा पहली बार हुआ जब सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ इस तरह का प्रस्ताव लाया गया हो। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति ने महाभियोग को ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि इसको लेकर पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं है। नायडू ने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव में लगाए गए सभी पांच आरोपों पर मैंने गौर किया और इसके साथ लगे दस्तावेजों की जांच की।
प्रस्ताव में जिक्र किए गए सभी तथ्य के जरिए मामला नहीं बनता जो सीजेआइ को दुर्व्यवहार का दोषी बताए। सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव के खारिज किए जाने के बाद दीपक मिश्रा समेत सुप्रीम कोर्ट के सभी जज ने मिलकर 20 मिनट की मीटिंग की। रिपोर्टों के मुताबिक फैसला करने से पहले राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर नायडू ने कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों से मामले पर चर्चा की।