यूपी बिज़नेस वायरल

प्रयोगशाला में बनाई जा सकेगी भूरी एल्गी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने किया शोध

brown algy allahabad university प्रयोगशाला में बनाई जा सकेगी भूरी एल्गी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने किया शोध

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग ने देश के पूर्वी समुद्री तट पर पाई जाने वाली भूरी एल्गी (आईसोक्राइसिस गेलबाना) को प्रयोगशाला में विकसित करने में सफलता हासिल की है। पोषण तत्वों से भरपूर एल्गी की यह प्रजाति बच्चों में कुपोषण दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर और न्यूट्रिशनल बायोकेमिस्ट्री विशेषज्ञ नीतू मिश्रा ने पीटीआई भाषा को बताया, “आईसोक्राइसिस गेलबाना एक भूरी एल्गी है जिसमें एंटी ट्यूमर, एंटी बैक्टेरियल, एंटी ऑक्सिडेंट जैसे तत्व पाए गए हैं।” उन्होंने बताया कि सुपर फूड कहलाने वाले आईसोक्राइसिस गेलबाना में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले घटक जैसे प्रोटीन, लिपिड, एंजाइम आदि भी मौजूद हैं।
मिश्रा ने बताया कि भूरी एल्गी में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए यूजीसी ने जुलाई, 2018 में विभाग को इसे प्रयोगशाला में विकसित करने की परियोजना सौंपी और अब इसे लैब में विकसित कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि आईसोक्राइसिस गेलबाना एल्गी से खाद्य उत्पाद बनाने की तैयारी की जा रही है जिसके बाद पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा। सरकार की मध्याह्न भोजन योजना में इसके खाद्य उत्पादों को शामिल कर दें तो बहुत हद तक कुपोषण की समस्या दूर हो सकेगी।
नीतू मिश्रा की अगुवाई में पोस्ट डाक्टरल फेलो नेहा मिश्रा ने इस परियोजना में सहयोग किया और भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में आईसोक्राइसिस गेलबाना से औषधि निर्माण की संभावना तलाशी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसमें प्रतिकूल वातावरण में भी जीवित रहने की क्षमता होती है और नए वातावरण में खुद को ढालने के लिए ये विभिन्न प्राथमिक और द्वितीयक घटकों का संचय कर लेते हैं। एल्गी को सीधे नहीं खाया जा सकता, इसलिए इससे खाद्य उत्पादों को तैयार कर इसका उपयोग किया जा सकता है।

Related posts

उत्तर प्रदेश में लगने वाला है सेना भर्ती मेला 2021, 1 लाख 12 हजार की खुलेगी किस्मत

sushil kumar

रामायण संग्रहालय में मिलेगी भगवान के जीवन से जुड़ी सारी जानकारी

Aditya Mishra

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लिए हो रहा यह काम

sushil kumar