भारत खबर विशेष

कुछ इस अंदाज में उड़ते हैं कनपुरिया होली के रंग…

hol कुछ इस अंदाज में उड़ते हैं कनपुरिया होली के रंग...

नई दिल्ली। ब्रज की होली के रंग और उसके कई किस्से कहानियां तो आपने सुने होंगें कि कैसे वहां होली के पहले ही रंगो से पूरा वृंदावन सराबोर हो जाता है लेकिन क्या आपने कभी कानपुर में होली के रंगो की छटा देखी है, नहीं तो आइए आज आपको बताते हैं कि कनपुरिया अंदाज में होली किस तरह और भी ज्यादा खास हो जाती है।

होलिका दहन के ठीक अगले दिन धुलेंडी होती है। कानपुर में धुलेंडी से रंग खेलने का जो सिलसिला शुरू हो जाता है जो कि लगभग एक हफ्ते तक चलती है।

होलिका दहन की चकाचौंध 

शहर में होली के कई दिनों पहले ही साज-सजावट शुरू हो जाती है और जगह-जगह चौराहों पर लकड़ियां और दहन सामग्री इकट्ठा होनी शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों से इस तरह की चीजें लाकर डालना शुरू कर देते हैं। नवीन मार्किट और बड़ा चौराहा को आज कानपुर का हृदय माना जाता है, लेकिन एक समय में आजादी से पहले हटिया बाजार कानपुर का केंद्र हुआ करता था। इन दोनों जगहों पर होलिका दहन काफी बड़े पैमाने पर किया जाता है।

holi1 1 कुछ इस अंदाज में उड़ते हैं कनपुरिया होली के रंग...

 

होली के दिन की बेंबाकी से उड़ते हैं रंग

होली के दिन घरों के बाहर पहचान वाले हों या अनजान, सड़क पर निकले तो रंगों से बचना मुश्किल है। लाख मना करेंगे, फिर भी रंगों की बौछार होना तो तय है। होली के हुड़दंग में रंग भी डाले जाएंगे और जुमले भी सुनाए जाएंगे, जनाब-आराम से बैठेंगे तो तकलीफ नहीं होगी। होली का ये त्योहार तब तक पूरा नहीं होता, जब तक पानी के टैंक में दोस्तों को जबरन डुबकी न लगवाई जाए तब तक तो जैसे कुछ अधूरा सा लगता है। इसके अलावा रंगों में लबालब होकर दोस्तों के घर जाकर गुजिया और पापड़- चिप्स का लुफ्त लेने के क्या कहने।

sp 2 कुछ इस अंदाज में उड़ते हैं कनपुरिया होली के रंग...

कानपुर में होली प्यार का रंग है, अपनापन का रंग है तो इतनी जल्दी छूटेगा कैसे। चाहे लाख जतन कर लें, ये रंग एक सप्ताह बाद ही आपका दामन छोड़ेंगे। यही तो है कनपुरिया होली की पहचान।

गंगा मेले तक रंगों की धूम

अन्य शहरों की भांति कानपुर में होली सिर्फ एक दिन तक नहीं खेली जाती। होली के मामले में इस शहर का अंदाज ही अलग है। होलिका दहन से जो रंगों की बरसात शुरू होती है वो गंगा मेले तक चलती है। लोग अपने मिलने जुलने का सिलसिला अगले 5-6 दिन तक चलाते हैं और जमकर होली खेलते हैं और त्योहार को जोरों शोरों से मनाते हैं।

hol कुछ इस अंदाज में उड़ते हैं कनपुरिया होली के रंग...

चार दिन तक बाजार रहते हैं बंद

होली के दिन ही नहीं होली के दिन के 4 दिन बाद तक बाजार बंद रहते हैं शहर के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक रंग ही रंग दिखाई देते हैं। मजदूर और दुकानदारों के लिए साल का ऐसा समय होता है जब उनकी दुकानें इतने समय तक के लिए बंद रहती हैं। कानपुर के सभी पुराने बाजार बंद हो जाते हैं- जैसे हटिया, नया गंज, कलक्टरगंज, टोपी बाज़ार, लाठी मोहाल।”

 

 

Related posts

सिंहासन देने की बात पर भी शिवसेना भाजपा का साथ नहीं देगी: संजय राउत

Trinath Mishra

अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर बनेगा विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री रखेंगे आधारशिला, जानिए क्या है ‘जाटलैंड’ का इतिहास

Neetu Rajbhar

अमर सिंह के पार्टी संसदीय बोर्ड के मनोनयन के बाद चर्चाओं का दौर शुरू

piyush shukla