नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर यूपी शिया वक्फ बोर्ड ने एक मसौदा तैयार किया है। जिसमें उसका कहना है कि राम मंदिर अयोध्या में बनावाया जाए और मस्जिद को लखनऊ में जबकि मुस्लिम समुदाय उनके इस मसौदे से खुश नहीं है। उनका कतहना है कि वसीम रिजवी अयोध्या में राम मंदिर का राग इसलिए अलाप रहे हैं ताकि वो अपने उपर लगे घोटालों के आरोप से बच सके। वसीम रिजवी ने अपने मसौदे में कहा कि लखनऊ में बनने वाली मस्जिद का नाम किसी राजा के नाम पर नहीं बल्कि अमन के नाम पर रखा जाए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और राम मंदिर निर्माण पक्ष के बीच जो आपसी समझौते को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें कहा गया है कि मीर बाकी बाबर के सेनापति और शिया मुसलमान थे। बाबरी मस्जिद 1528 से 1529 के बीच अयोध्या में बनवाई। मस्जिद के बाद उसके मुतवल्ली मीर बाकी रहे और मीर बाकी के बाद उनके परिवार के अन्य लोग मस्जिद के मुतवल्ली 1945 तक रहे। ये सभी शिया मुसलमान थे।
वहीं 1944 में इस बाबरी मस्जिद को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा सुन्नी वक्फ मस्जिद कहते हुए बोर्ड के अभिलेखो में अवैध रूप से पंजीकृत कर लिया। शिया बोर्ड ने फैजाबाद सिविल अदालत में चुनौती दी गई. लेकिन अदालत ने इस वाद को खारिज कर दिया। शिया वक्फ बोर्ड ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई है।
साथ ही प्रस्ताव में कहा गया है कि एक अन्य वाद में 26 फरवरी 1944 की अधिसूचना, जिसके अंतर्गत बाबरी मस्जिद को सुन्नी वक्फ माना गया है। ये अधिसूचना फैजाबाद सिविल कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है। इसे हाईकोर्ट ने भी अवैध माना है. इस कारण सुन्नी वक्फ बोर्ड का विवादित बाबरी मस्जिद पर कोई अधिकार नहीं है। ये मस्जिद शिया समुदाय की है।