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रूस – यूक्रेन विवाद: क्या विदेश से लौटे मेडिकल छात्रों का अधर में लटक जाएगा भविष्य?, भारत खबर पर ट्रामा प्रभारी संदीप तिवारी ने दी पूरी जानकारी

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shivnandan रूस - यूक्रेन विवाद: क्या विदेश से लौटे मेडिकल छात्रों का अधर में लटक जाएगा भविष्य?, भारत खबर पर ट्रामा प्रभारी संदीप तिवारी ने दी पूरी जानकारी शिवनंदन सिंह, संवाददाता

रूस और यूक्रेन में लड़ाई लगातार जारी है। हालांकि राज्य सरकारों द्वारा छात्रों को लाने का काम जोरों – शोरों से किया जा रहा है। ताकि वह सही सलामत अपने घर पहुंच सकें।

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यूक्रेन में छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहें हैं। ऐसे में वहां तनाव होने के कारण छात्र पढ़ाई छोड़कर वापिस आ गए हैं। इसी कड़ी के चलते हमारे संवाददाता ने शिवनंदन सिंह ने ट्रामा प्रभारी संदीप तिवारी से बातचीत की। जिसमें उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इन छात्रों के साथ क्या होगा।

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2021 की गाइडलाइन में बदलाव !

संदीप तिवारी ने बातचीत के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि 2021 की गाइडलाइन में बदलाव किया गया है। एनएमसी चाहता है कि उसके छात्र यही रहकर मेडिकल की पढ़ाई करें। जिसके लिए अब एमबीबीएस की सीटें भी बढ़ाई गई हैं।

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1 साल की इंटरनशिप जरूरी

ट्रामा प्रभारी संदीप तिवारी ने बातचीत के दौरान बताया कि बाहर से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारत में भी 1 साल की इंटरनशिप करना जरूरी है। विदेशी मरीजों की समस्याएं अलग है। जबकि भारत के मरीजों की दिक्कत और समस्याएं अलग है। ऐसे में वह 1 साल में इस माहौल में अपने आप को ढाल लेंगे। इसलिए एफएमजी को अपने ही मेडिकल संस्थान से 12 महीने की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी।

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10 साल तक का है समय

ट्रामा प्रभारी संदीप तिवारी ने बताया कि विदेशों में एमबीबीएस के कोर्स की अवधि 6 वर्ष है। ऐसे में अब रूस और यूक्रेन में लड़ाई के चलते छात्रों को अपनी डिग्री पूरी करने के लिए 10 साल का समय दे दिया है। ताकि उनके भविष्य पर इसका कोई असर ना पड़े।

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