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कृषि कानून के विरोध में कल होगा ‘भारत बंद’, केन्द्र ने राज्यों को दिए सुरक्षा और शांति बनाए रखने के निर्देश

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नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध प्रदर्शन को आज 12वां दिन है। किसान सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए। जिसके चलते सभी किसानों ने दिल्ली के चारों ओर डेरा डाल रखा है। किसानों और सरकार के बीच कई बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन उसमें कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। जिसके चलते किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया था। भारत बंद का ऐलान करने के बाद किसानों के समर्थन में ट्रासंपोर्टर, विपक्षी दल और वकील आदि आ गए।

गृह मंत्रालय ने भारत बंद से पहले राज्यों को भेजी एडवाइजरी-

बता दें कि किसानों के द्वारा 8 दिसंबर यानि कल के लिए भारत बंद का ऐलान किया गया था। जिसके चलते कल पूरा भारत सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे से बंद रहेगा। इसके साथ ही सभी ने कृषि कानून को लेकर सरकार की आलोचना की है। किसानों द्वारा सरकार से कृषि कानून वापस लेने की मांग की जा रही है। किसान संगठनों की तरफ से 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया गया है। किसानों की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि भारत बंद के दौरान शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया जाएगा। किसानों की ओर से बुलाए गए भारत बंद का कांग्रेस समेत देशभर के 11 राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दिया है। इस बीच, देशव्यापी बंद को देखते हुए केन्द्र सरकार की तरफ से राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की गई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे भारत बंद के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के साथ ही कानून और शांति-व्यवस्था को बनाए रखें। इसके साथ ही, एडवाइजरी में कहा गया है कि राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और सामाजिक दूरी बनाए रखी जाए।

इन पार्टियों ने किया भारत बंद का समर्थन-

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान कृषि सुधार से संबंधित तीन कानून पास कराए गए हैं। इसके बाद एमएसपी को लेकर किसानों की तरफ से इस कानून का विरोध किया जा रहा है। ‘भारत बंद’ का कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, सपा, टीआरएस और वामपंथी दलों जैसी बड़ी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है। अब तक पांचवें दौर की किसान संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल सका। किसान संगठनों के नेता नये कानून को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और ‘हां या नहीं’ में स्पष्ट जवाब की मांग करते हुए ‘मौन व्रत’ धारण किए हुए हैं जिसके बाद केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। लेकिन, उससे पहले किसानों की तरफ से भारत बंद बुलाया गया है। किसानों ने धमकी दी है कि अगर उनकी बातें केन्द्र ने नहीं मानी तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।

 

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