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16 नवंबर को मनाया जाएगा भाई दूज, थाली में ये चीजें रखने से होगी पूजा सफल, जानें शुभ मुहूर्त

bhai dooj 16 नवंबर को मनाया जाएगा भाई दूज, थाली में ये चीजें रखने से होगी पूजा सफल, जानें शुभ मुहूर्त

दिवाली के दो दिन बाद यानी गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. भाई दूज का त्योहार पूरे देश में 16 नवंबर 2020 को सोमवार के दिन मनाया जाएगा. भाई दूज या भैया दूज को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि भी कहा जाता है. भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज के दिन बहनें पूजा, व्रत और कथा आदि करके अपने भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और उनके माथे पर तिलक लगाती हैं.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त:

इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व के शुभ मुहूर्त की बात करें तो भाई दूज के तिलक का समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.

भाई दूज की पूजन विधिः

भाई दूज के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और तैयार हो जाएं. इसके बाद भाई-बहन दोनों मिलकर यमराज, यम के दूतों और चित्रगुप्त की पूजा करें. फिर सभी को अर्घ्य दें. इसके बाद अपने भाई को बहन चावल और घी का टीका लगाएं. फिर भाई की हथेली पर पान, सुपारी, सिंदूर, और सूखा नारियल रखें. इसके बाद भाई का मुंह मीठा करें और बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें. आखिर में भाई अपनी बहन को आशीर्वाद दें और उपहार दें.

पूजा की थाली में शामिल करें ये चीजें

भाई दूज थाली में में 5 पान के पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का जरुर रखें. तिलक करने से पहले सभी चीजों पर जल छिड़क कर भगवान विष्णु को अर्पित करें और भाई की लंबी उम्र की कामना करें। इसके अलावा थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, नारियल और मिठाई जरूर रखें.

यमराज भी लगवाते हैं अपनी बहन से तिलक

कथाओं के मुताबिक, यमुना अपने भाई यमराज को हमेशा भोजन पर बुलवाया करती थी लेकिन वह टाल देते थे. ऐसे में जब कार्तिक माह में यमुना अपने भाई को द्वार पर खड़ा देखती हैं तो वह खुश हो जाती हैं और बेहद सत्कार से उन्हें भोजन करवाती हैं. बहन के समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव उन्हें इच्छा मांगने के लिए कहते हैं तब यमुना उन्हें हर साल भोजन पर आने का आग्रह करती हैं. साथ ही वह कहती हैं कि जो भी बहन इस दिन भाई का तिलक कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे. इसपर यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमलोक चले जाते हैं. मान्यता है कि आज के दिन पूरी श्रद्धा से तिलक और भोजन करने से दोनों को यमदेव का भय नहीं रहता.

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