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भारतीय संस्कृति का प्रतीक भगवाध्वज हमारा गुरु – सुनीत खरे

भारतीय संस्कृति का प्रतीक भगवाध्वज

लखनऊ। भगवाध्वज भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। इसीलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने परम पवित्र भगवाध्वज को गुरु के रूप में स्वीकार किया है। हमारे देश में व्यक्ति ही नहीं बल्कि तत्व को गुरू के रूप में स्वीकार करने की प्राचीन परम्परा है। इसी परम्परा का अनुशरण संघ भी कर रहा है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अवध प्रान्त के सह प्रान्त संघचालक सुनीत खरे ने कही। वह शनिवार को गुरु पूर्णिमा के मौके पर गोमतीनगर की विश्वकर्मा शाखा पर आयोजित गुरू पूर्णिमा उत्सव को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि एकलव्य ने मिट्टी की प्रतिमा को गुरू मानकर अभ्यास किया था और आगे चलकर वह महान धनुर्धर बने। भगवान बुद्ध ने भी सारनाथ में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन अपने प्रथम पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। इसीलिए बौद्ध धर्म के अनुयायी भी पूरी श्रद्धा से गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाते हैं। सिख परम्परा में भी गुरू ग्रन्थ साहिब को गुरू मानकर उनके आदर्शों पर चलते हैं।

भगवाध्वज राष्ट्र का प्रतीक
सह प्रान्त संघचालक ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना काल से ही भगवा ध्वज को गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया है। इसके पीछे मूल भाव यह था कि व्यक्ति का कभी भी पतन हो सकता है। इसलिए विचार पूर्वक संघ ने भगवाध्वज को गुरु के रूप में स्वीकार किया। संघ के सभी स्वयंसेवक भगवाध्वज को गुरू मानकर इससे प्रेरणा लेते हैं। क्योंकि भगवाध्वज राष्ट्र का प्रतीक है। इसलिए जिसे गुरु माना उसकी नित्य पूजा और उसके गुणों को अपने अंदर आत्मसात करना चाहिए।

वहीं लखनऊ दक्षिण भाग के गोमती शाखा पर भी गुरू पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर संवाद नगर के सह नगर संघचालक गंगा प्रसाद ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया। नगर कार्यवाह संदीप चतुर्वेदी की देखरेख में कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसके अलावा लखनऊ महानगर में संघ की शाखाओं पर गुरू पूर्णिमा उत्सव मनाया गया।

 

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