फतेहपुर: आपके पास सिम बंद होने के लिए फोन आता है और क्विक एप सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवाते हुए आपका सिम चालू होने की सूचना दी जाती है। जैसे ही कोई यह काम करता है, उसकी सारी डिटेल फोन करने वाले के पास चली जाती हैं और उसका बैंक खाता खाली हो जाता है। साइबर अपराधियों के इस फॉर्मूले ने सभी के होश उड़ाकर रख दिए हैं। सोमवार को फतेहपुर साइबर पुलिस ने मामले पर खुलासा करते हुए यह जानकारी दी। ऑनलाइन ठगी को लेकर दो लाख से अधिक धनराशि पीड़ितों को वापस करायी गयी है।
पीड़ित ने सुनाई आपबीती
बीते दिनों कोतवाली थाना क्षेत्र के शादीपुर में रहने वाले अकबाल बहादुर ने अपने साथ हुए साइबर अपराध की सूचना दी। उन्होंने बताया कि, उनका सिम बंद हो जाने की सूचना देते हुए ऑनलाइन केवाईसी वेरीफाई कराने को कहा गया। साथ ही क्विक डेस्क एप इंस्टॉल कराने के नाम पर उन्हें झांसे में लेते हुए बैंक खाते से पांच लाख से अधिक धनराशि हड़प ली।
शिकायत के आधार पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने साइबर क्राइम प्रभारी अतुल्य कुमार पाण्डेय को कार्रवाई के निर्देश दिए। जिसपर उन्होंने कार्रवाई करते हुए एमेजान, पेटीएम, ONE97 वॉलेट कंपनी और भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों से मामले पर पड़ताल की। आरोपियों ने पीड़ित अकबाल के खाते से गिफ्ट और समान बुक कराए थे, जिसे रद्द करवाते हुए ठगी के 1,90,000 रुपये पीड़ित को वापस कराए गए।
एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर निकाले रुपए
साइबर निरीक्षक ने बताया कि, इसी तरह दक्षिणी गौतम नगर थाना कोतवाली के रहने वाले रामानंद प्रसाद के एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करते हुए तीन बार में 39,500 रुपये निकाल लिए गए, जबकि पीड़ित का एटीएम उन्हीं के पास था। खाते से रुपये निकलने की जानकारी उन्हें एसएमएस के जरिए मिली।
सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई और शाखा प्रबंधक के साथ बड़ौदा यूपी ग्रामीण बैंक के नोडल अधिकारियों से संपर्क किया गया, जिसमें बैंक के सहयोग से पीड़ित के खाते में वापस 39,500 रुपये आ गए। साइबर आरोपियों से वापस पैसा लाने वालों में साइबर सेल प्रभारी अतुल्य कुमार पाण्डेय, उप निरीक्षक अरविन्द कुमार वर्मा, कांस्टेबल प्रवीन सिंह और नीरज कुमार शमिल हैं।
अपराध करने का तरीका
वेरिफिकेशन के नाम पर अपराध करने वाले ये साइबर अपराधी पूरे प्रदेश में अपराध करते हैं। मथुरा जिले के साइबर अपराधी लोगों से ठगी कर उसे सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर नहीं करते बल्कि पुलिस से पकड़े जाने के डर के कारण ये लोग राजस्थान, बिहार, बंगाल, झारखण्ड में लोगों के खाते से ऑनलाइन सामान बुक कराते हैं। फिर उसे गैर प्रान्तों में डिलीवरी करवाते हैं। सेटिंग के चलते वहां से सामान यूपी आता है और फिर उसे मनचाहे दामों में बेंचकर रुपये में बदल दिया जाता है।