महाराष्ट्र में 36 में से 16 जिलों ने सरकार की महत्वपूर्ण योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ लागू कर दी है। योजना के तहत कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम और बालिकाओं की शिक्षा के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।आपको बता दे कि “बेटी बचाओ और बेटी पढाओ” कार्यक्रम के तहत सभी जिला और कस्बा स्तर पर आम जनता में जागरूकता निर्माण करने का कार्य शुरू है। जिसके कारण सभी जिलों में लड़कियों का जन्म दर बढ़ने में मदद मिली।
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रोगानालय में नियमित तरीके से त्रैमासिक निरीक्षण करते हैं
विशेषतया बीड, जालना और वाशिंम जैसे जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के क्रियान्वयन के बारे में औरंगाबाद की सिविल सर्जन डॉ.अर्चना भोंसले बताती हैं कि हमारे जिले में जितने रोगानालय आते हैं उनमें नियमित तरीके से त्रैमासिक निरीक्षण करते हैं। जन-जागरूक पर कार्यक्रम करते हैं। भरत नाट्य, रैली, महिला विशेष विविध कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
महिला चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ.निर्मला असोलेकर बताती हैं कि राज्य के सभी हॉस्पीटल में अब जन्मपूर्व लिंग परीक्षण नहीं किया जाता
वहीं औरंगाबाद के ही महिला चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ.निर्मला असोलेकर बताती हैं कि राज्य के सभी हॉस्पीटल में अब जन्मपूर्व लिंग परीक्षण नहीं किया जाता। बेटी न होने के लिए जो कुछ भी सोनोग्राफी या टर्मिनेशन और प्रेगनेंसी जो भी किया जाता है,वो कितना गलत है इसके बारे में बार-बार हम बताते रहते हैं।निर्मला ने कहा कि हम हर फैमिली को काउंसलिंग करते हैं।
जागरूकता और अन्य कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन का परिणाम स्पष्ट दिखने लगा है
डॉ.निर्मला ने कहा कि बेटी को अच्छा पढ़ाना और हेल्थ अच्छा होना जरूरी है।आपको बता दे कि जागरूकता और अन्य कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन का परिणाम स्पष्ट दिखने लगा है। जागरूकता और अन्य कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से राज्य के बीड जिले में लड़कियों की जन्मदर में 789 से 927 और वाशिम जिले में 835 से 953 तक बढ़त दर्ज की गई है।
महेश कुमार यदुवंशी