लखनऊ: कोरोना काल के दौरान देश में एजुकेशन सेक्टर को टेक्नोलॉजी ने एक नई गति दी है। यहां बात हो रही ऑनलाइन क्लासेज की। कोविड काल में ऑनलाइन क्लासेज ने शिक्षा के स्वरूप को परिवर्तित किया। इसका असर ये हुआ कि हम धीरे-धीरे ऑनलाइन एजुकेशन की तरफ बढ़ चले।
साल 2020 से निरंतर इसी कल्चर को अपनाया जा रहा है और निष्कर्ष यही निकल कर आया है कि ये कल्चर परिस्थियों के हिसाब से काफी हद तक सही है। ऑनलाइन क्लासेज में किस तरह के लाभ निकल कर सामने आए हैं, यह खुद प्रतिष्ठित संस्थानों के अध्यापकों ने भारतखबर.कॉम से साझा किए हैं। आप भी पढ़िए इस बातचीत के कुछ अंश…
टीचर्स-स्टूडेंट्स दोनों के पास ग्रूम करने का मौका: अपर्णा रस्तोगी
ऑनलाइन क्लासेज ने डिजिटल के कांसेप्ट को बढ़ावा दिया है। पहले एक सोच थी कि लैपटॉप या मोबाइल पर सिर्फ पर्सनल काम हो सकते हैं लेकिन, अब ये सोच बदली है। साथ ही ऑनलाइन कक्षाओं में अध्यापक और छात्र, दोनों के पास ग्रूम करने का मौका रहता है। यह कहना है NIFT (भुवनेश्वर) की असिस्टेंट प्रोफेसर अपर्णा रस्तोगी का। उन्होंने कहा है कि, टीचर के पास अब ये मौका रहता है कि वे क्लास के बीच में प्रेजेंटेशन, वीडियोज, लिंक्स आदि के माध्यम से स्टूडेंट्स को अपनी बात समझा सके। हालांकि, ट्रेडिशनल क्लास में भी ये मौका रहता था लेकिन ऑनलाइन क्लास में ये आसानी के साथ होता है।
उन्होंने बताया है कि जब इस तरह से टीचिंग की जाती है तो बच्चों का रिस्पॉन्स पहले के मुताबिक ज्यादा आता है और उनका थॉट प्रोसेस भी नई-नई जानकारियों की तरफ बढ़ता है। उन्होंने यह भी बताया है कि स्मार्ट क्लास के लिए प्रोजेक्टर, हॉल आदि तमाम तरह की चीजों की जरूरत पड़ती थी लेकिन वर्तमान समय में स्मार्ट क्लास की जगह ऑनलाइन क्लास ने ले ली है। गेस्ट लेक्चर का भी आसानी से आयोजन हो जाता है और इस डिजिटल क्रांति से टीचर के पास अपनी बात को समझाने के अवसर बढ़ जाते हैं।
स्टूडेंट का कांसेप्ट क्लियर करना हुआ आसान: विनय कुमार
ऑनलाइन क्लासेज में टीचर्स के पास स्टूडेंट्स के कांसेप्ट को क्लियर करने के कई तरीके होते हैं। टीचर्स वीडियो, ऑडियो, पीपीटी के माध्यम से स्टूडेंट के डाउट क्लियर कर सकते हैं। ऑफलाइन क्लास में थोड़ा मुश्किल होता था क्योंकि जरूरी नहीं की हर क्लास में प्रोजेक्टर हो। यह कहना है विनय कुमार (Assistant Professor,Techno Group of Higher Studies) का। उन्होंने यह भी बताया कि ऑनलाइन क्लास में छात्रों की संख्या बाध्य नहीं है। ऑफलाइन क्लास के दौरान एक लिमिट होती थी कि क्लास में इससे ज्यादा छात्र न हों लेकिन ऑनलाइन क्लास ने इस बाध्यता को दरकिनार कर दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन क्लास की रिकॉर्डिंग कर और उसे दोबारा देखकर टीचर्स और स्टूडेंट्स, दोनों ही अपने आपको और ज्यादा डेवेलप कर सकते हैं। साथ ही अध्यापक खुद की रिकॉर्डिंग को देखकर टीचिंग क्वालिटी को और बेहतर कर सकता है।
ऑनलाइन क्लास में छात्रों का ‘संकोच’ ख़त्म हुआ: सुरेंद्र यादव
वहीं सुरेन्द्र कुमार यादव (असिस्टेंट प्रोफेसर, फिल्म इंस्टिट्यूट ऑफ़ EMITS) का कहना है कि ऑफलाइन क्लासेज में छात्रों में संकोच देखा जाता है। वे कुछ भी पूछने से डरते थे और डर के अलावा उनमें संकोच रहता था कि दूसरे छात्र-टीचर क्या सोचेंगे। ऑनलाइन क्लास में ये नहीं है, सभी छात्र बेझिझक अपनी बात को रखते हैं और टीचर्स उन्हें तकनीक के माध्यम से समझाने का प्रयास करते हैं।
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से टीचिंग क्वालिटी और ज्यादा निखरती है। साथ ही उन्होंने ऑनलाइन क्लास का एक नया पहलु भी भारतखबर से साझा किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं काफी हद तक फीमेल छात्रों के लिए फायदेमंद हैं। फीमेल छात्रों को ट्रेवल के दौरान कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन, ऑनलाइन क्लास में वे घर बैठे शिक्षा से जुड़ जाती हैं।
टेक्नो सेवी हो रहे छात्र: रुचिता चौधरी
ऑनलाइन क्लास के माध्यम से छात्र टेक्नो सेवी हो रहे हैं। मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई के मद्देनज़र ये एक बेहतरीन इनोवेशन है। ऑनलाइन और इन्टरनेट ने भौगोलिक दूरियों को खत्म कर दिया है। ऑनलाइन क्लास के दौरान टीचर्स के पास कई तरीकें होते हैं अपनी बातों को समझाने के लिए। चाहे आप यूट्यूब का इस्तेमाल करें या फिर गूगल का, इन सभी तरीकों से आप छात्रों का कांसेप्ट क्लियर कर देते हैं। यह कहना है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर रुचिता चौधरी का।
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास में इंस्टेंट पीपीटी या वीडियो शेयर कर स्टूडेंट्स को समझाना आसान होता है। अपनी जरुरत के हिसाब से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पाना, ऑनलाइन क्लास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।