नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के 45वें मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर होने जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले मिश्रा के आगे सबसे बड़ी चुनौती थी अपने बचे हुए 5 कार्य दिवस में 8 महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला सुनाना। हालांकि उन्होंने 4 दिन के अंदर ही ऐसे ऐतिहासिक फैसले दिए जो देश की राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक परिस्थिति के लिए महत्वपूर्ण रहे।
पढिए बीते 4 दिनों में किन मामलों पर लिया गया ऐतिहासिक फैसला:-
आधार पर ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ की ओर से सुनाए गए फैसले के अनुसार आधार कार्ड को कई सेक्टर में अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। बच्चों की एडमिशन, निजी कंपनियां और मोबाइल सिम में आधार कार्ड अब जरूरी नहीं होगा।
अयोध्या विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ
अयोध्या के राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सवाल पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पूर्व के फैसले को बरकरार रखते हुए इसे बड़ी बेंच में भेजने से इनकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि यह केस राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले से अलग है और मुख्य मामले पर इसका कोई असर नहीं होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी।
व्यभिचार अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए व्यभिचार कानून को रद्द कर दिया और अब से यह अपराध नहीं रहा। न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को निरस्त कर दिया। पीठ के अनुसार व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता. यह निजता का मामला है। पति, पत्नी का मालिक नहीं है।
प्रमोशन में SC/ST आरक्षण को हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में SC/ST के प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता फिर खोल दिया। कोर्ट ने 2006 के आदेश को रिव्यू करने की याचिका को खारिज करते हुए इस मसले को सात सदस्यों की बेंच के पास भेजने से इंकार कर दिया। प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को यह तय करना था कि 12 साल पुराने नागराज मामले में पांच जजों की बेंच के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं।
अदालती कार्यवाही का होगा LIVE टेलिकास्ट
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में होने वाले अहम मुद्दों की कार्यवाही के दौरान रिकॉर्डिंग और लाइव स्ट्रीमिंग करने की अनुमति दे दी है। पीठ के अनुसार अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण जनता को जानने का अधिकार होगा और यह न्यायिक कार्यवाही में पहले से अधिक पारर्दिशता लाएगा।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का होगा प्रवेश
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने बहुमत के अपने फैसले में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि महिलाएं कहीं से भी पुरषों से कमजोर नहीं हैं। मंदिर में उनके प्रवेश का रोक भेदभाव करने वाला है।
दागियों के चुनाव लडऩे पर नहीं रोक
सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह संसद का काम है कि वह राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाने का काम करे। वह इस पर कानून बना सकती है, लेकिन हम ऐसा फैसला नहीं ले सकते। पीठ राजनीति के अपराधीकरण पर विराम लगाने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किये।
सांसद और विधायक कोर्ट में बतौर वकील कर सकेंगे प्रैक्टिस
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों के देशभर की अदालतों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जाए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम जनप्रतिनिधियों के वकीलों के तौर पर प्रैक्टिस करने पर रोक नहीं लगाते हैं।