नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने देश की खराब इकॉनमी और बैंकिंग सेक्टर के हालात को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधा है। पिछले दिनों कोलंबिया विश्वविद्यालय में सीतारमण ने कहा था कि राजन के गवर्नर रहते हुए सिर्फ एक फोन कॉल पर बड़े नेताओं को लोन दे दिए जाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के सरकारी बैंक मुश्किल दौर से निकलने के लिए सरकारी मदद का इंतज़ार करते हैं।
बता दें कि राजन ने बाद में वित्त मंत्री को जवाब देते हुए कहा कि वो तीन साल गवर्नर (2013-2016) थे और इस दौरान करीब दो साल तक बीजेपी की सरकार थी। उन्होंने इसके बाद ये भी दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान ही बैंकों में ‘फंसे हुए लोन’ (Bad Loan) के खिलाफ सफाई अभियान की शुरुआत हुई थी। बता दें कि वित्त मंत्री ने आलोचना करते हुए मनमोहन सिंह के साथ-साथ राजन को भी घसीटा था।
वहीं कांग्रेस को देश के सामने एक अच्छे आर्थिक विजन को पेश करने की जरूरत है और यहां राजन फिट बैठते हैं। खास बात ये है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं से उनके रिश्ते भी अच्छे हैं। याद रहे कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कई ऐसे लेख छपे, जिसमें रघुराम राजन को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर अच्छे विकल्प की तरह पेश किया गया। कहा गया कि राजन पीएम मनमोहन सिंह के चुने हुए सबसे अच्छे लोगों में से थे।
वहीं रघुराम राजन कांग्रेस के लिए पीएम का चेहरा होंगे या नहीं, फिलहाल ये कहना काफी जल्दबाजी होगी। लेकिन ये सच है कि राजन पिछले कुछ समय से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी की आलोचना कर रहे हैं। उन दिनों आर्थिक मोर्चे पर देश के हालात अच्छे नहीं थे। सबसे पहले राव ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी देने के लिए आईजी पटेल को याद किया। पटेल उन दिनों लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स के डायरेक्टर थे। लेकिन उन्होंने इस पोस्ट के लिए मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने ये जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को दे दी। जल्द ही वो देश में आर्थिक उदारीकरण का चेहरा बन गए।