कोरोना वयारस पूरी दुनिया पर अपना कहर बरपा रहा है। लाख कोशिशों के बाद भी कोरोना की दवाई नहीं बन सकी है। लेकिन कोरोना को लेकर हो रही नई-नई रिसर्च से नये-नये दावे बाहर आ रहे हैं। ये दावे तब तक बेकार हैं जब तक कि, इनसे कोरोना खत्म नहीं हो जाता है।
ऐसा ही एक नया दावा एक वैज्ञानिक के द्वारा किया गया है। जिसमें उन्होंने ये बताया है कि, कोरोना से कोरोना फैलाने वाला पक्षी चमगादड़ ही बचाएगा।
,जिस वैज्ञानिक ने यह दावा किया है उनका नाम है पीटर डैसजै। पीटर इकोहेल्थ एलायंस नाम की एक गैर सरकारी संस्था के कर्ताधर्ता हैं। यह वैज्ञानिक संस्था है जो घातक वायरसों की खोज, पहचान और बचाव करने में दुनियाभर के शोधकर्ताओं की मदद करता है।
चमगादड़ों पर कई देशों में रिसर्च चल रही है। चीन में ऐसी ही रिसर्च जनवरी में उस वक्त की गई थी जब वुहान समेत पूरे देश में कोरोना वायरस के मामले हजारों में पहुंच चुके थे। ये खोज यूनान प्रांत में मौजूद चूना पत्थर की गुफाओं में की गई थी। इस खोज को अमेरिका की गैर लाभकारी संस्था इको-हेल्थ एलाइंस ने अंजाम दिया था। इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित किए। इस दौरान वैज्ञानिकों का दल विशेष सुरक्षा सूट पहने हुए था।
पूरी दुनिया में चमगादड़ों से सृजित करीब 500 घातक वायरस खोजे जा चुके हैं। वर्ष 2003 और वर्ष 2004 में भी इस तरह के घातक वायरस की खोज की गई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक खोजे गए घातक वायरस और दुनिया के लिए समस्या बना नोवेल कोरोना वायरस इनसे करीब 96 फीसद तक मेल खाता है। खुद पीटर ही बीते 10 वर्षों में 20 से ज्यादा देशों में खतरनाक वायरस की खोज कर चुके हैं और अपने इसी दावे के आधार पर वो बोल रहे हैं कि , कोरोना से अब कोरोना फैलाने वाले चमगाड़ ही बचाएंगे।
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हालकि इन दावों में कितनी सच्चाई है वो सामने नहीं आयी है। अगर वाकई में चमगादड़ों से कोरोना की दवाई मिल गई है तो विश्व पर मंडरा रही मौत तटल जाएगी।