लखनऊ। पन्द्रह अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आम लोगों के मन में एक सवाल जरूर उठता है कि क्या मुस्लिम समुदाय मदरसों और घरों पर झंडा फहरा सकते हैं या नहीं? इस बार बरेली शरीफ के दरगाह आला हजरत से इस मसले पर फतवा ही जारी कर दिया गया। फतवे से साफ हो गया है कि झंडा फहराने या जश्न मनाने में किसी तरह का कोई हर्ज नहीं है।
दरगाह आला हजरत के मुफ्ती ने कहा कि शरीयत के दायरे में रहकर जश्न मनाने में कोई हर्ज नहीं है। इस्लामी कानून के उसूलों का एहतराम करते हुए मुल्क का झंडा भी फहरा सकते हैं। बेहतर यह है कि आजादी के जश्न में उन मुस्लिम उलेमा और मजहबी रहनुमाओं को खिराजे अकीदत पेश करें, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई थी।
मुफ्ती ने कहा, ऐसा कर फिरकापरस्तों की साजिश को भी नाकाम किया जा सकता है, जो मुसलमानों के खिलाफ मुल्क से दुश्मनी का इल्जाम लगाते रहते हैं। ऐसी ताकतों को जवाब देने के लिए आजादी के जश्न में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। इस जश्न के लिए हमारे बुजुर्गों ने भी कुर्बानियां दी थीं इस लिए दिल खोल कर जश्न मनाय आजादी की फिजा में सांस लेने की तमन्ना थी। दरगाह आला हजरत के मदरसा मंजरे इस्लाम के मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने फतवा जारी कर सभी मुसलमानों से जश्ने आजादी में हिस्सा लेने का आह्वान किया था।
(अकील सिद्दीकी, लखनऊ)