लखनऊः बाराबंकी सड़क हादसे में एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एआरटीओ की जांच में गुरुवार का सामने आया कि जिस बस का एक्सीडेंट हुए था उसका 32 बार चालान किया जा चुका था और ये बस बिना परमिट के हरियाणा से लेकर यूपी, बिहार की सड़कों पर फर्राटे से घूम रही थी।
एआरटीओ जांच में सामने आया कि बस का रजिस्ट्रेशन नंबर UP-22-T-7918 है, जो कि बाद में बिहार के सीवान जिले में ट्रांसफर हो चुका था, लेकिन फिर भी यूपी के रजिस्टर्ड नंबर का प्रयोग किया जा रहा था।
32 बार कटा चालान
18 बेगुनाहों की मौत जिम्मेदार कहीं न कहीं बस को माना जा रहा है। बस का 32 बार चालान हुआ, जिनमें से 31 बार सिर्फ एक-एक हजार रुपए का जुर्माना दिया गया। बस का आखिरी बार चालान इसी महीने की 4 तारीख यानी 4 जुलाई 2021 को संबंधित विभाग ने 27 हजार रुपए का किया था। चौंकाने वाली बात ये है कि बस के मालिक ने एक बार भी जुर्माने की राशि जमा नहीं की थी। लचर व्यवस्था और भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत के चलते बस बिना परमिट ओवरलोड सवारी ढोने का काम कर रही थी।
घायलों ने बताया सच
जांच के दौरान घायलों का बयान दर्ज करने के लिए जब एआरटीओ यातायात राहुल श्रीवास्तव गुरुवार को केजीएमयू पहुंचे तो वहां घायलों ने बताया कि बस के चालक ने हरियाणा, अंबाला, और फिर दो अन्य जगहों पर स्थित ढाबों पर रोककर वहां से सवारियों को बस में बिठाया था।
रजिस्ट्रेशन के बाद भी नहीं बदला नंबर
जांच के दौरान जब परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में बस का रजिस्ट्रेशन नंबर तलाशा गया तो बस का नंबर रामपुर जिले का ठहरा, जिसके कारण बस का नंबर यूपी 22 टी 7918 मिला था। 19 जून को इस बस का रजिस्ट्रेशन बिहार के सीवान जिले में करवा लिया गया। नियमों के अनुसार बस का नंबर भी बदल दिया जाना चाहिए था, लेकिन अफसरों की मिली भगत के कारण नंबर नहीं बदला गया।
इस पूरे मामले में बाराबंकी के एआरटीओ पंकज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि रजिस्ट्रेशन में राज्य बदल जाने के बाद नंबर भी बिहार राज्य का होना चाहिए था। बस चालक ने जरूरी प्रक्रिया क्यों पूर्ण नहीं की ये जांच का विषय है।
बिहार के अधिकारी ने किया खुलासा
सड़क हादसे के बाद गुरुवार को बिहार के छपरा रीजनल ट्रांसपोर्ट अर्थारिटी के रीजनल कमिश्नर डॉ. गगन ने बाराबंकी यातायात विभाग के अधिकारियों से खुद बात करते हुए जानकारी दी कि इस बस के संचालन ने परमिट के लिए विभाग में किसी भी प्रकार का कोई आवेदन नहीं किया था। डॉ. गगन ने ये बात स्वीकार की कि रजिस्ट्रेशन व चालान मामले में लचर कार्रवाई की गई है।
लावारिश दो शवों की हुई शिनाख्त
वहीं, अभी तक हादसे के शिकार 18 मजदूरों में से दो शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई थी। पुलिस ने वो भी काम अब पूरा कर लिया है। लावारिश दो शवों की शिनाख्त बिहार के सीतामढ़ी जिले के गुलरिया रौनी सैदपुर के मंगल मुखिया और बिहार के शिवहर के जहांगीरपुर के दिलीप राम के रूप में की गई है। बाराबंकी पुलिस ने एआरटीओ के माध्यम से ऐंबुलेंस और वाहनों का प्रबंध कर सभी के शवों को उनके घरों को भिजवा दिया गया।