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बांग्लादेश में 3 लोगों को 1971 के युद्ध अपराध के लिए मौत की सजा

1971 War बांग्लादेश में 3 लोगों को 1971 के युद्ध अपराध के लिए मौत की सजा

ढाका। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सोमवार को अल-बदर के आठ लोगों को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी करार दिया है और इनमें से तीन को मौत की सजा सुनाई है। पांच अन्य को आजीवन जेल में रहना पड़ेगा। अशरफ हुसैन, शरीफ अहमद और अब्दुल बारी को मौत की सजा सुनाई गई है जबकि एस.एम. युसुफ अली, शमसुल हक, अब्दुल मन्नान, हारून एवं अब्दुल हाशिम को आजीवन कारावास की सजा दी गई है।

1971 War

इन आठ लोगों में केवल अली और हक ही हिरासत में हैं। अन्य लापता हैं और माना जा रहा है कि फरार हैं। उनके खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया और सजा सुनाई गई। डेली स्टार की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति अनवारुल हक की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने हिरासत में लिए गए दो दोषियों की मौजूदगी में 289 पृष्ठों का फैसला दिया। अदालत ने फैसले में कहा कि अभियोजन ने इनके खिलाफ हत्या, अपहरण, यातना, आगजनी और लूट के कुल पांच आरोप लगाए थे। इनमें से तीन के खिलाफ आरोप बगैर किसी संदेह के साबित हो गए हैं।

उनके बारे में कहा गया है कि उन्होंने वर्ष 1971 के 22 अप्रैल से 11 दिसंबर के बीच हत्या, अपहरण, यातना, बंधक बनाने और आगजनी की वारदात कीं। विशेष न्यायाधिकरण ने पुलिस महानिरीक्षक और गृह सचिव को फरार लोगों को तत्काल गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि आवश्यक हो तो इंटरपोल की मदद लें। अभियोजन पक्ष के वकील तुरीन अफरोज ने कहा कि उनकी टीम शत प्रतिशत दोषी करार देने से संतुष्ट है जबकि बचाव पक्ष के वकील गाजी एम.एच. तमिम ने कहा है कि वे लोग इस सजा के खिलाफ अपील दायर करेंगे।

तीन सदस्यीय पीठ ने आठ अभियुक्तों के खिलाफ 19 जून को मामले की सुनवाई पूरी की थी और फैसला लंबित रखा था। न्यायाधिकरण की जांच एजेंसी के मुताबिक, अशरफ के बारे में माना जाता है कि वह भारत भाग गया है जबकि शेष बांग्लादेश में ही फरार चल रहे हैं। एजेंसी के अनुसार बांग्लादेश में अल-बदर की शुरुआत जमालपुर और शेरपुर से हुई थी।

अशरफ हुसैन, मुहम्मद कमरुज्जमां और कामरान- ये तीनों जमात-ए-इस्लामी के तत्कालीन इस्लामी छात्र संघ के नेता थे। इन तीनों ने अल-बदर का मयमनसिंह में गठन किया। कमरुज्जमां और कामरान को पहले ही फांसी दी जा चुकी है। जांच एजेंसी का कहना है कि शरीफ, मन्नान, बारी, हारुन और हाशिम भी इस्लामी छात्र संघ में शामिल थे और अल-बदर के सदस्य बन गए थे।

शरीफ इस्लामी बैंक बांग्लादेश लिमिटेड का वर्ष 1983 और 2003 के बीच निदेशक था और बांग्लादेश पब्लिकेशन लिमिटेड का प्रबंध निदेशक था। यही कंपनी वर्ष 1999 से 2013 के बीच डेली संग्राम अखबार निकालती थी। युसुफ वर्ष 1971 में राष्ट्रीय असेंबली का सदस्य हो गया था। शमशुल और यूसुफ जमालपुर में अल-बदर के संरक्षक थे।

डेली स्टार ने कहा है कि 26 अक्टूबर 2015 को न्यायाधिकरण ने पांच पर आरोप तय किए थे और अभियोजन पक्ष ने 25 गवाह पेश किए थे। बचाव पक्ष ने किसी भी गवाह को पेश करने से इनकार कर दिया था।

(आईएएनएस)

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