नई दिल्ली। किसी ज़माने में चंबल की रानी के नाम से जाने जाने वाली फूलन देवी एक ऐसी कहानी है, जो कभी चम्बल के बीहड़ो में डाकू बनकर फिरने वाली संसद तक पहुंच गयी। और डाकू बनकर जीवन यापन करने वाली सांसद बन गयी। उसके बाद आज ही के दिन 25 जुलाई 2001 को संसद भवन से घर लौटते हुए सरकारी घर के बाहर गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
बता दें कि फूलन देवी का जन्म साल 1963 में 10 अगस्त को हुआ था। जिसकी बचपन में ही शादी कर दी गयी थी, 18 साल की उम्र में उनके साथ गांव के ही ठाकुर समाज के कई लोगों ने गैंगरेप किया। उनके बेहोश होने तक दरिंदगी की गई। इसके बाद जुल्म की शिकार फूलन ने ने बीहड़ का रास्ता अपनाया जो उन दिनों डाकुओ का केंद्र हुआ करता था। गैंगरेप की वारदात के बाद इसका बदला लेने के लिए उन्होंने 22 ठाकुरों की हत्या कर दी, जो बहमाई हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।
वहीं फूलन देवी अपराध की दुनिया की नयी देवी बन गयी थी। जिसकी दशहत दूर दूर तक थी. फूलन देवी ने फांसी न दिए जाने की शर्त पर साल 1983 में सरेंडर किया था। सरेंडर करते वक्त फूलन पर 48 मामले दर्ज थे, जिनमें से 30 डकैती और बाकी अपहरण और लूट के थे। 11 साल बिना सुनवाई के जेल में रहने के बाद बाद में यूपी सरकार ने सारे आरोप वापस ले लिए. साल 1996 में यूपी के मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंच गई।