एजेंसी, कन्याकुमारी/त्रिची। कन्याकुमारी से लगा हुआ है कोडछला बंदरगाह मछुआरा मैथ्यू जल्दबाजी में दौड़ता हुआ मछली नीलामी केंद्र की ओर भागता है। जल्दबाजी की वजह पूछने पर बेहद गुस्से में बताता है कि अब मछलियां पकड़ने समंदर में काफी आगे तक जाना पड़ता है। पहले तीन घंटे लगते थे…अब पांच लगते हैं।
बंदरगाह जो बना दिया है, मछलियां दूर गहरे पानी में चली गई हैं। मैथ्यू जैसे मछुआरों का यही गुस्सा यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। तीस से ज्यादा गांवों के छोटे मछुआरे इस बंदरगाह का विरोध कर रहे हैं। 15 से 20% ये मछुआरे कन्याकुमारी का भविष्य बदलने का माद्दा रखते हैं।
फ्रीलांस पत्रकार ठागुर थॉमस कहते हैं पिछले चुनाव में डीएमके और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इसलिए मछुआरों का वोट बंट गया और फायदा भाजपा को मिला और तमिलनाडु की यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। इस बार डीएमके और कांग्रेस साथ हैं और बंदरगाह की नाराजगी मछुआरों को भाजपा के साथ जाने से रोक सकती है। -भास्कर डॉट कॉम से साभार