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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं बनारसी महिलायें, पूरा हो रहा पीएम मोदी का सपना

banaras आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं बनारसी महिलायें, पूरा हो रहा पीएम मोदी का सपना

वाराणसी: आत्मनिर्भरता के सपने को अब पंख लगते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने स्वदेशी उत्पाद और हुनर को बढ़ावा देने के लिए इसकी बात कही थी। वाराणसी की महिलाओं ने इसे सच कर दिखाया है।

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बनारस की महिलाओं का हुनर है खास

लकड़ी के खिलौने को तराशने में माहिर बनारस की महिलाओं ने अपनी काबिलियत से सबका दिल जीत लिया है। उनके हुनर का ही नतीजा है कि लकड़ी के खिलौने में अब नया कलेवर दिखने लगा है। इससे लघु उद्योग को भी बल मिल रहा है, साथ ही लोकल टच भी मिल रहा है।

लकड़ी के खिलौनों का मेला भी देश में चल रहा है। यह पहली बार है जब इन खिलौनों की कारीगरी से महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। केंद्र सरकार के प्रयासों से महिलायें अब सिर्फ गृहणी ही नहीं, शिल्पी भी बन रही हैं।

सैंकड़ों महिलाओं ने संभाला मोर्चा

लकड़ी के ऊपर कारीगरी करके महिलायें अपने सपनों को नई उड़ान दे रही हैं। इस कारीगरी को देश ही नहीं विदेशों में भी सराहा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भी इस प्रयास की खूब तारीफ की है, उन्होंने आत्मनिर्भरता के इस मिशन को बनारस के साथ-साथ देश के लिए उत्तम बताया है।

मिल रहा टैलेंट और आत्मनिर्भरता को प्रशिक्षण

इस कारीगरी को और बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इशकी शुरुआत जनवरी में हुई थी, जिसे मार्च महीने तक चलाया जाना है। इस कार्यक्रम में महिलाओं के हुनर को निखारा जा रहा है। उन्हें सभी प्रकार के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

वस्त्र मंत्रालय और डीआईओएस ने मिलकर इस प्रशिक्षण को शुरू किया है। इसके अंतर्गत यहां सीखने वाली महिलाओं को ₹300 की राशि प्रतिदिन दी जायेगी। महिलाएं यहां से नई कला सीखकर उसे अपनी कारीगरी में दिखायेंगी, इसे विश्व बाजार में भी ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।

कश्मीरी गंज इलाका है खिलौनों के लिए प्रसिद्ध

वाराणसी के कश्मीरी गंज क्षेत्र में 400 से अधिक परिवार लकड़ी के खिलौने बनाने का काम करते हैं। इसमें ज्यादातर पुरुष वर्ग की ही सहभागिता रहती थी। लेकिन अब महिलाओं को प्रशिक्षण देकर इसे और बढ़ावा दिया जा रहा है।

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं बनारसी महिलायें, पूरा हो रहा पीएम मोदी का सपना

लकड़ी की गुड़िया और सिंदूर आदि का इस्तेमाल करके उसे और सुंदर बनाया जाता है। महिलाएं हाथों से रंग भरने के साथ ही अब मशीनों पर भी हाथ चलाना सीख गई हैं। इससे अब वह तरह-तरह के आकर्षक लकड़ी के खिलौने तैयार कर रही हैं।

इन्हें प्रशिक्षित करने वाले राज पटेल का कहना है कि जब यह पूरी तरीके से प्रशिक्षण हासिल कर लेंगी और पूर्ण कारीगर बन जाएंगी। तब इन्हें अन्य पुरुष कारीगरों की तरह ही ऑर्डर मिलने शुरु हो जायेंगे, उनकी मेहनत के आधार पर पेमेंट भी किया जायेगा।

कश्मीरी गंज में कई तरह के कारोबारियों के लिए कार्यक्रम हो रहा है। लगभग 200 महिलाएं को टीम में बांटकर यहां प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। महिलाएं हर दिन 4 घंटे लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं, इनमें से कई महिलाएं अब पूरी तरह से निपुण हो चुकी हैं। उनका कहना है कि पुरुषों के साथ साथ हम महिलाएं भी अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अपना कदम बढ़ा चुकी हैं।

बदल रही है घर की स्थिति

इस प्रशिक्षण को हासिल करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति में काफी मदद मिल रहा है। भविष्य में मजबूत आर्थिक माध्यम भी मिलने की संभावना है। महिलाओं के साथ-साथ अब युवा लड़कियां भी प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से लकड़ी के खिलौनों को नई पहचान मिल रही है, अब इसमें आने वाले समय में बेहतर भविष्य नजर आ रहा है। यही कारण है कि अब युवा भी इस व्यापार से भारी मात्रा में जुड़ने लगे हैं।

प्रधानमंत्री ने दी नई पहचान

2014 के पहले लकड़ी के खिलौनों का कारोबार बनारस में डूबती हुई नैया के समान था। पीएम मोदी ने इसे एक नई पहचान दी और अब इसे विश्वस्तर पर एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। वाराणसी का कश्मीरी गंज एक ऐसा इलाका है जहां कई ऐसे कारीगर मिलते हैं।

इन कारीगरों में सिर्फ पुरुष ही शामिल होते रहे हैं लेकिन अब महिलाओं ने भी अपनी भागीदारी दिखानी शुरु कर दी है। इस नए प्रयोग के बाद अब बनारसी खिलौनों के साथ-साथ, महिलाओं को भी आत्मनिर्भरता मिलेगी।

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