लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती का आज 62वां जन्मदिन हैं। बसपा प्रमुख का जन्मदिवस हर साल काफी धूमधाम से मनाया जाता है,लेकिन इस साल उनका जन्मदिन काफी सादगी से मनाया जाएगा। बता दें कि बसपा अपनी प्रमुख का जन्मदिन जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाने की तैयारी कर रही है। इस मौके पर वो अपने जीवन पर आधारित किताब के 13वें संस्करण ”मेरा संघर्ष जीवन” और ”बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा” का विमोचन करेंगी। बसपा प्रमुख के जन्मदिवस को लेकर बीएसपी के महासचिव मुनकाद अली ने कहा कि प्रदेश भर के सभी जिलों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बहनजी के जन्मदिवस के अवसर पर जन कल्याण दिवस मनाएंगे और इस मौके पर केक काटने के साथ-साथ सर्वसमाज के अति गरीब, असहाय व अति जरूरतमंद लोगों की अलग-अलग रूपों में मदद की जाएगी।
मुनकाद अली ने कहा कि बहनजी लखनऊ पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करेंगी। उन्होंने कहा कि इस मौके पर वो बसपा की ब्लू बुक मेरे संघर्षमय जीवन एवं बसपा मूवमेंट का सफरनामा भाग 13वें संस्करण का विमोचन करेंगी। इस किताब में पार्टी के खड़े होने की शुरुआती दौर की कहानी है, जिनसे सीख लेकर एक बार फिर पार्टी को मजबूती देने की लिए संकल्प बीएसपी कार्यकर्ताओं को दिलाया जाएगा। बता दें कि एक दौर में मायावती का जन्मदिवस धूमधाम के साथ मनाया जाता था, जोकि मायावती के सत्ता में रहते हुए देखने को मिलता था।
दरअसल जब वो सत्ता में रहती तो लखनऊ में एक बड़ी रैली के साथ जन्मदिन मनातीं थी। मायावती के जन्मदिवस पर कई बार तो पैसे वसूली का आरोप भी लगाया गया, लेकिन सत्ता से बाहर रहते हुए जन कल्याणकारी दिवस के रूप में इस बार उनका जन्मदिवस मनाया जा रहा है। सत्ता से दूर हो चुकी बीएसपी प्रमुख फिर से सीएम की कुर्सी हासिल करने की जुगत में हैं। पहले 2012, फिर 2014 लोकसभा चुनाव और 2017 में विधानसभा चुनाव में शिकस्त झेलने वाली बीएसपी के इरादे नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद बुलंद नजर आ रहे हैं।
पार्टी को फिर से अस्तित्व में लाने के लिए कितना संघर्ष किया गया उसकी जानकारी आम कार्यकर्ताओं को देने की तैयारी की जा रही है। मायावती के जन्मदिन और उनके द्वारा किए गए संघर्षों की किताब ब्लू बुक को हथियार बनाया गया है। लगता है कि मायावती ब्लू बुक के जरिए 2019 की सियासी बिसात बिछाने की जुगत में हैं। सूत्रों की मानें तो मायावती इस मौके पर सहारनपुर हिंसा में शब्बीरपुर कांड के तहत दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर बनी सीडी को भी दिखाया जा सकता है।