वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ की गौना बारात निकाली गई। इस दौरान भोले बाबा की पालकी पर अबीर-गुलाल छोड़ा गया और भक्त बेहद उल्लास में रंगे नजर आए। भक्तों ने धूमधाम से बाबा की गौना बारात निकाली।
विभिन्न कलाकारों ने लिया भाग
इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ की गौना बारात में विभिन्न जगहों से बुलाए गए डमरू और शंखनाद करने वाले 108 कलाकारों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
वहीं बाबा की बारात में अन्य वाद्य यंत्रों के साथ बंगाल का ढाक भी खूब गूंजा। ढाक से पूरा माहौल बंगालमय हो रहा था तो शंख और डमरुओं से आध्यात्मिक अनुभूति हो रही थी।
मथुरा से मंगाया जाता है विशेष गुलाल
बाबा की गौना बारात में मथुरा का विशेष किस्म का गुलाल मंगाया जाता है। इस गुलाल को गुलाब के फूलों से बनाया जाता है।
ये इतना खुशबूदार होता है कि जो भी इसे सूंघता है वो इसकी खुशबू में खो जाता है। इस अबीर गुलाल को बनाने के लिए विशेष कारीगर लगते हैं। ये अबीर-गुलाल विशेषरूप से मथुरा में ही बनता है।
21 मार्च से चल रहा गौने का कार्यक्रम
गौरतलब है कि 21 मार्च को गीत गवना का कार्यक्रम आयोजित हो चुका है। 22 मार्च को हुए कार्यक्रम में मंदिर के प्रांगण में महिलाओं ने गौना गीत गाया था और माता पार्वती को हल्दी और तेल लगाकर सारी रस्में पूरी की थी।
वहीं 23 मार्च को बाबा का अपने ससुराल में आगमन भी हो गया था। 23 मार्च को बाबा विश्वनाथ के ससुराल आगमन पर यहां के महंत ने 11 ब्राह्मणों के साथ वैदिक पाठ किया था। इसके बाद बाबा की आराधना करके उन्हें रजत सिंहासन पर बैठाया गया था। वहीं बुधवार को आज बाबा विश्वनाथ की गौना बारात निकाली गई।
ब्रह्म मुहूर्त में उतारी गई बाबा की आरती
आपको बता दें कि बाबा विश्वनाथ की गौना बारात की शुरुआत पूजा पाठ से की गई। सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उनकी आरती उतारी गई। इस दौरान 11 ब्राह्मणों ने बाबा का रुद्राभिषेक किया। इसके बाद बाबा को छह बजे स्नान कराया गया।
बाबा की आंखों में काजल भी लगाया गया। वहीं गौरा के माथे पर सिंदूर भराई की रस्म अदा की गई और उन्हें सजाया गया। इशके बाद बाबा विश्वनाथ की महाआरती की गई और विभिन्न रस्मों को पूरा करते हुए बाबा विश्वनाथ की गौना बारात निकाली गई।
मुस्लिम परिवार तैयार करता है पगड़ी
बाबा विश्वनाथ की गौना बारात में सबसे खास बात ये रही कि 1934 से ही बाबा खादी के परिधान पहने रहे हैं। इस बार भी उन्होंने खादी का ही वस्त्र पहना।
इस बार बाबा विश्वनाथ ने गुजरात से आई खादी पहनी। वहीं सिर पर अकबर नुमा पगड़ी धारण को धारण किया। इस पगड़ी को पिछले पिछली कई पुश्तों से एक मुस्लिम परिवार तैयार कर रहा है।