भगवान भोलेनाथ ऐसे देवता माने जाते हैं जो भक्तों की सरलता पर आसानी से रीझ जाते हैं और अपने भक्तों का खयाल भी उतना ही करते हैं जितना की उनका भक्त उनका खयाल करता है। कहते हैं भोले-भंडारी बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, किन्तु इसका अर्थ ये तो नहीं कि हम बिना किसी विधि विधान के ही पूजा कर दें। यदि सरलता से शिव पूजन करना आपकी विवशता या पूजन विधि की अज्ञानता है तो ठीक है, किन्तु यदि शिव पूजन की ये सरलता आपकी लापरवाही, आलस या ज़िद के कारण है तो ये ठीक नहीं है। यदि आप देवों के देव महादेव शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शुद्ध मन एवं स्वच्छ तन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। भगवान शिव एक पिता की भांति आपको हर कठिनाई से उबारेंगे। यहाँ हम नीचे महाशिवरात्री के अवसर पर सामाग्री सहित शिव पूजन की विधि के विषय में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने की सामाग्री
महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए साधारण सी सामाग्री की आवश्यकता पड़ती है। भोले भंडारी की पूजा अच्छे से करने से उनकी कृपा उनके भक्तों पर सदैव बनी रहती हैं। पूजन के लिए सामग्री इस प्रकार है:
- बेलपत्र – 11 या 21, ध्यान रहे बेलपत्र अधूरे, टूटे या खंडित न हों।
- शिवजी का मनपसंद भांग के पत्ते
- धतूरे का फूल
- पंचामृत, पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी, तथा शक्कर मिश्रित करें।
- अक्षत (चावल जो खंडित न हों, यानि कि टोटा बासमती का प्रयोग न करें।)
- धूप, दीपक,
- फूलमाला, फूल
- फल, फलों में बेर भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय है।
- काले तिल
शिव पूजन कि विधि
सबसे पहले महाशिवरात्रि पर प्रातः उठकर स्नान कर लें। यदि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं तो उत्तम रहेगा, अन्यथा सूर्योदय से पहले उठना तो ज़रूरी है ही। अब अनार कि कलाम से बेलपत्र पर चंदन से ओम लिखें। तत्पश्चात उपर बताई गई पूजा सामग्री एकत्रित करें।
अब आप मंदिर में जाकर जल चढ़ाएँ। जल इस क्रम में चढ़ाएँ, पहले गणेश जी पर, फिर माँ पार्वती पर, फिर कार्तिकेय पर, फिर नंदी पर तथा फिर नाग देवता पर जल चढ़ाते हुये शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी करते रहें। इसके पश्चात इसी क्रम में जाप करते हुए समस्त शिव परिवार को पंचामृत अर्पण करें।
इसके पश्चात फिर से उनका जलाभिषेक करें। फिर चन्दन से तिलक करें। तिलक के पश्चात यदि आप यज्ञोपवीत लाये हैं तो दोहरा यज्ञोपवीत माँ पार्वती एवं शिवलिंग को एक साथ पहनाएँ। अब बेलपत्र चढ़ाएं और पुष्प अर्पित करें और बची हुई समस्त सामग्री शिव जी को अर्पित करें। अब दीप एवं धूप जलाएं सारी प्रक्रिया करते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहें। अब यदि आप शिव चालीसा का पाठ करना चाहते हैं तो शिव चालीसा का पाठ करें एवं उसके पश्चात शिव जी की आरती करें।
-नोट यह आर्टिकल 13thtv.in से मूल रूप में लिया गया है।