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क्यों मनाया जाता है बाबा चामलियाल मेला,क्यों हुआ रद्द ?

IMG 20200624 WA0126 क्यों मनाया जाता है बाबा चामलियाल मेला,क्यों हुआ रद्द ?

इस वर्ष नहीं होगा ऐतिहासिक बाबा चामलियाल मेला, कोरोना महामारी की वजह से प्रशासन ने लिया फैसला

  • आखिर क्यों मनाया जाता है बाबा चामलियाल मेला, क्या है इस स्थल की महत्वता?

  • बाबा चामलियाल स्थल की मिट्टी और जल में औषदीय गुण हैं जो चर्म रोग के इलाज के लिए हैं फायदेमंद

  • जम्मू के रामगढ सेक्टर में भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर होता है मेले को आयोजन

जम्मू कश्मीर से रवि कुमार की रिपोर्ट 
जम्मू, जून 24: जम्मू कश्मीर के साम्बा जिले के अंतर्गत रामगढ सेक्टर में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हर वर्ष लगने वाला ऐतिहासिक बाबा चामलियाल मेला इस बार कोरोना महामारी के कारण नहीं होगा. जिला प्रशासन ने यह फैसला कोरोनावायरस के बढ़ते फैलाव को ध्यान में रखकर लिया है.बाबा चामलियाल स्थल जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में स्थित है जहाँ पर मशहूर संत बाबा दलीप सिंह की समाधि है और मेले वाले दिन सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देशभर से लाखों भक्त यहाँ माथा टेकने पहुँचते हैं.
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बाबा चामलियाल के मेले का आयोजन पिछले करीब 300 सालों से होता आया है और इस वर्ष मेले का आयोजन 25 जून को किया जाना था लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से प्रशासन को इस ऐतिहासिक मेले को रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा है. ऐसे में अब बाबा चामलियाल के पवित्र स्थल की देख रख कर रही बाबा चामलियाल कमेटी द्वारा बाबा दलीप सिंह मन्हास की समाधि पर चादर चढ़ाई जाएगी जिसमे गांव दग के चार या पांच लोग ही शामिल होंगे.
IMG 20200624 WA0129 क्यों मनाया जाता है बाबा चामलियाल मेला,क्यों हुआ रद्द ?
प्रशासन की तरफ से मेला न करवाने के फैसले की जानकारी देते हुए तहसीलदार रामगढ के पी सिंह ने बताया की कोविड-19 की वजह से जम्मू कश्मीर सरकार ने अभी धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाज़त नहीं दी है जिसके कारण बाबा चामलियाल जी को मेला भी इस वर्ष नहीं किया जा सकता. मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश भर से यहाँ पहुंचते हैं और ऐसे में मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए मेले को आयोजन करवाना बिलकुल उचित नहीं हैं. उन्होंने कहा की प्रशासन की तरफ से एस डी एम विजयपुर अथवा लोकल अफसरों द्वारा बाबा की समाधि पर चादर चढाई जाएगी.
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 (file photo)बाबा चामलियाल मेला
भारत खबर से बात करते हुए बाबा चामलियाल कमेटी के प्रधान बिल्लू चौधरी ने बताया की वैसे तो मेले को लेकर सारी तैयारियां की जा चुकी थी मगर मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने इस बार मेले का आजोयन न करने का फैसला किया है. ऐसे में अब सिर्फ कमेटी की तरफ से समाधी पर चादर चढ़ाई जाएगी और कमेटी सदस्य के लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जाएगी. प्रशासन के फैसले के बाद अब मेला स्थल पर लोगों के आने पर रोक रहेगी. उन्होंने आगे बताया की सबसे पहले बी एस एफ द्वारा सुबह बाबा दलीप सिंह की समाधि पर चादर चढ़ाई जाएगी जिसके बाद कमेटी के लोग हर साल की तरह चादर चढाने की रस्म निभाएंगे.
वहीँ पंचायत दग बदवाल के सरपंच ओम प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया की प्रशासन के इस फैसले को पुरे तरीके से अमल में लजा जायेगा और गांव दग के लोगों की तरफ से समाधि पर चादर चढ़ाई जाएगी और सांकेतिक रूप से पूजा की जाएगी.
ऐसा पहली बार नहीं है जब इस वार्षिक मेले को रद्द किया गया है, इससे पहले 1999 में कारगिल युद्ध और 2005 में सीमा पर उत्पन्न तनाव के कारण मेले का आयोजन नहीं हो पाया था और फिर साल 2018 में भी पकिस्तान द्वारा बी एस एफ के जवानो पर मेले से कुछ दिन पहले किये गए हमले में बी एस एफ जवानो के शहीद हो जाने पर बाबा चामलियाल मेला रद्द किया गया था.
आपको बता दें कि बाबा चामलियाल का मेला आज़ादी के पहले से मनाया जा रहा है और पहले इस मेले में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लोग शिरकत किया करते थे. बाद में सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों के बढ़ने के बाद से सालों से चली आ रही परंपरा को बंद कर दिया गया. हालांकि पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा हर साल जीरो लाइन पर आकर बाबा की समाधि पर चढाने के लिए चादर को बी एस एफ के सपुर्द किया जाता है और मिठाईयों को आदान प्रदान किया जाता रहा है. बदले में भारत की तरफ से पाकिस्तान की तरफ बसे श्रद्धालुओं के लिए समाधिस्थल की पवित्र मिट्टी (शक्कर) और पानी (शरबत) भेंट किया जाता है.

आखिर क्यों मनाया जाता है बाबा चालियाल मेला, क्या है इस स्थल की महत्वता ?

कहा जाता रहा है की बाबा चामलियाल को असली नाम बाबा दलीप सिंह मन्हास था जो एक संत रूप इंसान थे और चामलियाल गांव में रहते थे. अलग अलग कहानियों के के अनुसार बाबा दलीप सिंह प्यासे राहगीरों को पानी पिलाते थे बल्कि कुछ कहते थे की वो समाज की बेहतरी के लिए काम करते थे और आपसी भाईचारा बनाये रखने में विशवास रखते थे. जिसकी वजह से वो लोगों में काफी प्रसिद्ध हो गए थे और कुछ लोगों को यह बिलकुल पसंद नहीं था और उन्होंने एक साजिश के चलते बाबा चामलियाल की  सैदांवाली गांव (अब पाकिस्तान में है) में  हत्या करवा दी. कहा जाता है की उनकी मौत के बाद बाबा दलीप सिंह को सर उनकी हत्या की जगह से काफी दूर (आज की जगह जो भारत में है) जा गिरा जबकि उनका शरीर सैदांवाली गांव में रहा.बाबा की हत्या के बाद उनकी की याद में दोनों तरफ के लोगों ने अलग अलग समाधियां बनवाई जिनमे एक जगह जहाँ उनका सर गिरा था उसे चमलियाल को नाम दिया गया और दूसरी मज़ार पाकिस्तान के सैदांवाली गांव में बनाई गयी जहाँ कहानी के अनुसार उनका धड़ रह गया था.

बाबा चामलियाल स्थल की मिट्टी और जल में औषदीय गुण हैं जो चर्म रोग के इलाज़ के लिए हैं फायदेमंद

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बाबा चामलियाल समाधि स्थल की मिट्टी और जल को भी काफी पवित्र मन जाता है. सिर्फ मेले के दौरान ही नहीं, बल्कि देशभर से श्रद्धालु लगातार यहाँ पहुँचते हैं और चर्म रोग से छुटकारा पाने के लिए स्थल की मिट्टी (शक्कर) और जल (शरबत) को मिलकर अपने शरीर पर लगाते हैं. मान्यता है की अगर लोग कुछ दिनों तक लगातार यहाँ रहकर नियमों को पालन करते हुए मीठी को लेप लगाते हैं तो चर्म रोग से उन्हें ज़रूर निजात मिल जाती है. कहा जाता है की शक्कर और शरबत में औषदीय गुण हैं जो चर्म रोग के इलाज़ के लिए काफी फायदेमंद है.

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