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क्या बाप-बेटे में सुलह करा पाएंगे आजम खान…

mulayam azam akhlish क्या बाप-बेटे में सुलह करा पाएंगे आजम खान...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी सपा में कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। तमाम प्रयासों के बाबजूद अखिलेश और मुलाय़म दोबारा एक होने के लिए तैयार नहीं है। दोनों नेताओं में सुलह कराने के लिए आजम खान बीच में आए हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम से मुलाकात के बाद आजम खान ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सपा में विवाद खत्म करने के लिए उन्हें किसी के भी हाथ पैर-जोड़ने पड़े वो जोड़ लेंगे। सपा में सुलह कराने के लिए आजम खान सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के घर मौजूद है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में शिवपाल यादव, नारद राय, ओम प्रकाश भी बैठक में मौजूद हैं।

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आगामी विधानसभा चुनावों पर इसका क्या असर पड़ेगा इसके बारे में बोलते हुए आजम खान ने कहा कि सपा में घमासान का सीधा फायदा बसपा को होने वाला है।

सबके आगे झुकने को तैयार

अमूनन देखा जाता है कि आजम खान जल्दी किसी के आगे झुकते नहीं है बड़े-बड़े राजनेताओं को चित्त करने वाले आजम सपा में घमासान को खत्म करने के लिए किसी के भी आगे झुकने को तैयार हैं।

अखिलेश-मुलायम की बैठक में नहीं निकला हल

दिल्ली में चुनाव आयोग से बैठक करने के बाद लखनऊ लौटे मुलायम सिंह से अखिलेश ने मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह बैठक ढ़ाई घंटे चली जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। अखिलेश के बैठक से निकलने के बाद शिवपाल ने मुलायम से बातचीत की, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि सपा में संग्राम अब खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

इससे पहले, मुलायम और अखिलेश की मंगलवार को कई घण्टों चली बैठक बेनतीजा रही थी। बुधवार को इस बैठक में इन तमाम बिन्दुओं पर एक फिर से चर्चा हुई, जिससे किसी भी तरह की सुलह हो सके। दरअसल चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान करने के बाद अब पार्टी के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह आम सहमति से कोई रास्ता निकाल लें, क्योंकि दोनों ही गुट आयोग में साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा कर चुके हैं। ऐसे में तुरन्त इसका हल निकलने की सम्भावना नहीं है। जाहिर है पार्टी को इससे बेहद नुकसान होगा।

यही वजह है कि बार-बार बैठकें पूरी तरह से बेनतीजा निकलने के बाद एक बार फिर कोशिशें शुरू हो जाती हैं। इस पूरी कवायद में आज़म खां की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों ही पक्षों के लोगों से उनकी मुलाकात जारी है। उन्होंने मंगलवार रात को भी कहा था कि वह सुलह के लिए किसी के भी हाथ-पैर जोड़ने के लिए तैयार हैं। जहां नाक झुकाना हो झुका लेंगे, खुशामद करना हो तो वह भी कर लेंगे। आज़म ने दावा किया था कि मुलायम चाहते हैं कि मुद्दों का समाधान हो, वह सकारात्मक और नरम हैं।

दरअसल ये बेचैनी इसलिए भी है, क्योंकि एक ताजा सर्वे के मुताबिक समाजवादी पार्टी के टूटने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सूबे में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आएगी। हालांकि सर्वे में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने से इनकार किया गया है। सर्वे के मुताबिक, अगर अखिलेश और मुलायम गुट अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को 158-168 सीटें मिल सकती हैं। सपा के अलग-अलग चुनाव लड़ने पर अखिलेश गुट को 82-92 सीटें मिल सकती हैं, जबकि मुलायम खेमे के महज 9-15 सीटों पर सिमटने की सम्भावना जतायी गयी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 110-120 सीटें और कांग्रेस को 14-20 सीटें मिलने की बात कही गई है, जबकि अन्य को 6-12 सीटें मिलने की सम्भावना है। खास बात है कि इस सर्वे ने अगस्त में सपा को नम्बर वन बताया था, लेकिन अब पार्टी तीसरे पायदान पर पहुंच गई है। सपा को नुकसान का सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा है।

इससे पहले, निर्वाचन आयोग ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव की घोषणा की। पहले चरण का मतदान 11 फरवरी, दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी, तीसरे चरण का मतदान 19 फरवरी, चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी, पांचवें चरण का मतदान 27 फरवरी, छठे चरण का मतदान चार मार्च और सातवें चरण का मतदान आठ मार्च को होने की घोषणा की। वहीं 11 मार्च को वोटों की गिनती की जाएगी।

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