अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक वीडियो कांफ्रेस ने हलचल मचा दी। राष्ट्रपति की ये वीडियो कांफ्रेस ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ थी। इस वीडियो के चर्चा में आने की वजह दरअसल एक समझौता है। जिसे AUKUS कहा जा रहा है। इस समझौते को लेकर चीन का कहना है कि इस समझौता से भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा है। साथ ही मुल्कों के बीच हथियारों की दौड़ को बढ़ावा देगा। इस समझौते को फ्रांस की मीडिया ने भी गंभीर झटका बताया है। साथ ही कहा कि यह समझौता हथियार उद्दोग के लिए नुकसानदायक है।
वहीं आगे इस समझौते के बारे में कहा गया कि इस समझौते से फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच अरबों डॉलर के समझौते को खत्म कर दिया है। जिस समझौते को सदी का समझौता बताकर जश्न मनाया गया था। इस समझौते पर ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए फ्रांस 12 पनडुब्बियां बनाने वाला था। जो अब शायद रूक जाए। फ्रांस के विदेश मंत्री ज़्यां युव ले द्रयां का कहना है कि ये धोखा देने जैसा है। पीठ में छुरा घोंपने जैसा है। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स के शुरुआत के अक्षरों को लेकर इसका नाम AUKUS रखा गया। जिसका मकसद भारत- प्रशांत देशों में इन तीनों देशों के हितों की रक्षा करना है।
बता दें कि इस समझौते को लेकर अमेरिकी तकनीक के साथ ऑस्ट्रेलिया पहली बार परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बियां बनाएगा। जबकि आज तक अमेरिका ने इस तकनीक को ब्रिटेन के साथ साझा किया था। दोनों देशों के बीच ये समझौता 50 साल पहले हुआ था। लेकिन पचास साल बाद ये समझौता क्यों इस तरह से चर्चा में आया ये पूरी दुनिया की अर्थव्यव्यस्था की धूरी बना हुआ है। अमेरिकी अधइकारी इस समझौते को लेकर रह पहे हैं कि इस समझौते का मकसद चीन को निशाना बनाना नहीं है। लेकिन वहीं विशेषज्ञों का तर्क है कि AUKUS समझौता इस क्षेत्र की रणनीति और नीति में बदलाव है।