घंटी की तरह बज रहा है वातावरण पीछे २ शताब्दियों से वैज्ञानिक हैरान
हवाई विश्वविद्यालय और क्योटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि पृथ्वी का “वातावरण घंटी की तरह बज रहा है”, पिछली दो शताब्दियों से सिद्धांतों की पुष्टि करता है। यह “संगीत”, जिसे हम सुन नहीं सकते, विश्व स्तर पर वायुमंडलीय दबाव के बड़े पैमाने पर तरंगों के रूप में आता है और भूमध्य रेखा के चारों ओर यात्रा करता है। प्रत्येक लहर वैश्विक वातावरण का एक गुंजायमान कंपन है
आपको बता दें की जिस तरह चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्वी के समुद्रों पर अपनी ओर खींचता है , उससे समुद्र की लहरों में ज्वार आता है, यह सूर्य के साथ-साथ हमारे वायुमंडल में भी खींचता है, जिससे आकाश में लहरें पैदा होती हैं। जिसे वैज्ञानिको ने घंटी की ध्वनि जैसी आवाजों में महसूस किया हैं
एक नया अध्ययन अब प्रदर्शित करता है कि पृथ्वी के चारों ओर कुछ प्रकार की ‘आकाश में तरंगें हैं जो गूंजती हैं, जैसे कि घंटी के अंदर ध्वनि तरंगें गूंजती हैं।
पिछले अध्ययनों ने कई घंटों की लहर आवृत्ति के साथ स्थानीय रिक्त स्थान और सीमित समय के पर 1,000 से 10,000 किमी (600 से 6,000 मील) के बीच आकाश तरंगों का पता चला हैं । लेकिन अब उपलब्ध आंकड़ों ने एक व्यापक वैश्विक दृष्टिकोण खोल दिया है।
ERA5 डेटासेट, जिसे यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) द्वारा जारी किया गया है, वास्तविक समय के पांच दिनों के भीतर कई वैश्विक वायुमंडलीय, भूमि और महासागरीय जलवायु चर के प्रति घंटा अनुमान प्रदान करता है। इसमें इन मापों के पुन: विश्लेषण किए गए ऐतिहासिक अवलोकनों का भी द्रव्यमान है, जो कि 1979 तक के सभी तरह के आकड़ो से आगे की बात का पता चलता हैं ।