लखनऊ: कोरोना काल में भयावाह संक्रमण के कारण लाखों-हजारों लोग अपने रोजगार से हाथ धो चुके हैं । इसका अंदाजा राजधानी के लावारिश हो चुके एटीएम बूथ को देखकर पता चलता है। असल में 24 घंटे एटीएम बूथ की सुरक्षा करने वाले सिक्योरिटी गार्ड को एजेंसियों ने हटा दिया है। लिहाजा आधे से ज्यादा शहरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के एटीएम बूथ की सुरक्षा भगवान भरोसे है । इसका फायदा एटीएम कार्ड की क्लोनिंग करने वाले जालसाज बड़े आराम से उठा रहे हैं। साइबर क्राइम सेल की मानें तो राजधानी में कार्ड क्लोनिंग के मामले सामने आ रहे हैं।
सामने आए कार्ड क्लोनिंग के मामले
साल संख्या
2020 80
2019 70
2018 55
स्कीमर से होता है डाटा हैक
साइबर एक्सपर्ट रमेश भारतीय के मुताबिक, कार्ड क्लोनिंग गैंग के सदस्य लावारिश एटीएम बूथ को टारगेट बनाते हैं। वह पीओएस मसलन प्लेस ऑफ सेल कांउटर में स्कीमर के साथ एक हिडन कैमरा लगा देते हैं । एटीएम से पैसा निकलाने आए लोगों की नजर उस कैमरे पर नहीं पड़ती है । फिर वह स्कीमर की मदद से कार्ड का डाटा हैक कर लेते हैं। कैमरे में कार्ड का पिन नंबर रिकॉर्ड हो जाता है। इसके बाद गैंग के सदस्य दूसरे कार्ड में ग्राहकों का डाटा ट्रांसफर कर उनके अकांउट को खाली कर देते हैं। खासतौर पर शहरीय इलाकों की अपेक्षा बंथरा, मलिहाबाद, चिनहट, काकोरी, इंटौंजा, गोसाईंगंज, पीजीआई, अमौसी, जुगौर में कार्ड क्लोनिंग के मामले ज्यादा है। वजह ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश एटीएम बूथ पर सिक्योरिटी गार्ड नहीं होता हैं।
बुजुर्गो को बना रहे शिकार
साइबर सेल एसीपी विवेक रंजन ने बताया कि कार्ड क्लोनिंग गैंग के सदस्य बुजुर्गों, महिलाओं और कम पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। गैंग के शातिर सदस्य मदद की हवाला देते हुए कार्डधारकों का कार्ड बदल लेते हैं। जिसके बाद वह कार्ड क्लोनिंग कर अकांउट से सारा पैसा निकाल लेते हैं। बताया कि कार्ड क्लोनिगं गैंग लावारिश एटीएम बूथ को चुनते हैं। इससे पहले भी पुलिस ने कार्ड क्लोनिंग में रोमानिया गैंग को गिरफ्तार किया था। यह गैंग लोकल स्तर पर काम कर रहा था।