पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज भले ही हमारे बीच भले ही नहीं रहे लेकिन उनके स्वभाव के जरिए सब कोई उनको किसी न किसी चीज के लिए याद कर रहा है।आपको बता दें कि अटल जी खाने-पीने के बहुत ही शौकीन थे। वाजपेयी ने अपनी पसंद-नापसंद थोपने की हठ नहीं कभी नहीं की। ऐसा ही एक वाकया दो दशक पहले का है जब आगरा में वाजपेयी-मुशर्रफ शिखर वार्ता का आयोजन किया गया था।
शिखर वार्ता में वाजपेयी ने खाने को लेकर बस शर्त रखी कि खाने का जायका नायाब होना चाहिए
आगरा में आयोजित शिखर वार्ता में वाजपेयी ने खाने को लेकर बस शर्त रखी कि खाने का जायका नायाब होना चाहिए। बता दे कि अटल जी लाने ले-जाने वाले मजाक करते थे लेकिन मुशर्रफ तनाव में लगते थे। पर पंडित जी निर्विकार भाव से संवाद को भी गतिशील रखते हैं और भोजन को भी निबटा रहे थे।वाजपेयी जी का अच्छा खाने-पीने का शौक मशहूर था। आपको बता दें कि अटल कभी नहीं छिपाते थे कि वह मछली-मांस चाव से खाते हैं। गौरतलब है कि शाकाहार को लेकर अटल कभी हठधर्मी या कट्टरपंथी नहीं रहे।
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ग्रेटर कैलाश-2 में चीनी रेस्तरां था जहां वह प्रधानमंत्री बनने से पहले अटल अक्सर दिखे जाते थे
मालूम हो कि दक्षिण दिल्ली में ग्रेटर कैलाश-2 में उनका प्रिय चीनी रेस्तरां था जहां वह प्रधानमंत्री बनने से पहले अक्सर दिखे जाते थे।ठीक इसी तरह पुराने भोपाल में मदीना के मालिक बड़े मियां फख्र से बताते थे कि वह वाजपेयी जी का पसंदीदा मुर्ग मुसल्लम पैक करवा कर दिल्ली पहुंचवाते थे।मिठाइयों के वह गजब के शौकीन थे। उनके पुराने मित्र ठिठोली करते कि ठंडाई छानने के बाद भूख खुलना स्वाभाविक है और मीठा खाते रहने का मन करने लगता है।
लड़कपन ग्वालियर में बिताने के बाद वह विद्यार्थी के रूप में कानपुर में रहे बाजपेयी
बचपन और लड़कपन ग्वालियर में बिताने के बाद वह विद्यार्थी के रूप में कानपुर में रहे थे। भिंड मुरैना की गज्जक, जले खोए के पेड़े के साथ-साथ ठग्गू के लड्डू और बदनाम कुल्फी का चस्का उनको उसी वक्त लगा था।
महेश कुमार यदुवंशी