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भारतीय राजनीति का वो चेहरा, जिसने दुनिया में बजाया था हिंदी का डंका

दुनिया में बजाया हिंदी का डंका भारतीय राजनीति का वो चेहरा, जिसने दुनिया में बजाया था हिंदी का डंका

नई दिल्ली।  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीतिक पटल पर एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व से भारत का नाम पूरे विश्व में में रौशन किया था। 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्म लेने वाले अटय बिहारी वाजपेयी1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इसके बाद 1957 में वह सांसद बने। अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे। वहीं वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे।छ इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते।

भारतीय राजनीति का वो चेहरा, जिसने दुनिया में बजाया था हिंदी का डंका
भारतीय राजनीति का वो चेहरा, जिसने दुनिया में बजाया था हिंदी का डंका

राष्ट्रभाषा हिंदी को दिलाई पहचान

आपको बता दें कि वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिन्होंने पूरे विश्न में भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी को पहचान दिलाई। 1977 में मोरार जी देसाई की सरकार में अटल विदेश मंत्री थे, वह तब पहले गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बनें थे। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था और दुनियाभर में हिंदी भाषा को पहचान दिलाई, हिंदी में भाषण देने वाले अटल भारत के पहले विदेश मंत्री थे और पूरे विश्न में उन्होंने भारत को हिंदा राष्ट्र के रुप में पहचान दिलाई। ऐसे ही बहुत से कारण थें जिसने अटल जी को बाकी नेताओं से अलग निखारा।

कुल 12 बार बने सांसद

अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इसके बाद 1957 में उत्तर प्रदेश के गोंडा से चुनकर वह सांसद बने। जनता पार्टी के स्थापन के पहले अटल जी 1957 से 1977 तक लोकसभा में जनसंघ के संसदीय दल नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे।  वहीं वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे। इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। वहीं वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे।

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