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महाभारत का अश्वत्थामा जो आज भी जिंदा है? क्या भगवान श्री कृष्ण के छल की सजा भुगत रहा द्रोणा पुत्र..

ashwathama 1 महाभारत का अश्वत्थामा जो आज भी जिंदा है? क्या भगवान श्री कृष्ण के छल की सजा भुगत रहा द्रोणा पुत्र..

महाभारत सदियों से ही लोगों के बीच काफी लोकप्रिय के साथ रहस्य से भरी हुई रही है। धर्मयुद्ध के नाम पर लड़ी महाभारत कब कर्म युद्ध बन गई किसी को पता ही नहीं चला।

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यूं तो महाभारत को हुए सदियां बीत चुकी हैं, लेकिन क्या आपको पता है महाभारत का एक चरित्र आज भी जिंदा है और इसी इस धरती पर हमारे बीच में है।

आ पको बता दें, महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचे 18 योद्धाओं में से एक अश्‍वत्थामा भी थे।
अश्वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। कहते हैं कि वे आज भी अपराजित और अमर हैं।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वे आज भी जीवित हैं? कुछ लोग भविष्यपुराण का हवाला देकर कहते हैं कि वे कलयुग के अंत में जब कल्कि अवतार होगा तो उनके साथ मिलकर धर्म के खिलाफ लड़ेंगे।

लेकिन महाभारत में जो लिखा है वही प्रमाण है और जो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है वही सत्य है।
चलिए आपको बताते हैं अश्वत्थामा के जीवन से जुड़े हुए कुछ खास रहस्य।

ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा एक श्राप के कारण अमर है और जंगलों में भटक रहा है। उसके शरीर पर बड़े-बड़े घाव हैं। महाभारत के इस पात्र की कहानी रहस्यमयी और चौंकाने वाली है। एक गलती के कारण अश्वत्थामा को ऐसा श्राप मिला जिसके कारण उसे दुनिया खत्म होने तक जीवन से मुक्ति नहीं मिल पाएगी।

वह इधर से उधर भटकता ही रहेगा। अश्वत्थामा को ये श्राप किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था।

पौराणिक शास्त्र के अनुसार, अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र है। एकबार महाभारत के युद्घ में द्रोणाचार्य का वध करने के लिए पाण्डवों ने झूठी अफवाह फैला दी कि अश्वत्थामा मर चुका है।

इससे द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और पाण्डवों ने मौका देखकर द्रोणाचार्य का वध कर दिया। अपने पिता की छल से हुई हत्या का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों की हत्या कर दी। और ऐसा कहा जाता है कि, भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों से इस छल को करने को कहा था।

जिसके बाद अश्‍वत्थामा ने पाडंवो के पुत्रों का हत्या कि, और इसी पाप के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उसे ये श्राप दिया था।

लेकि इस बीच काफी लोगों को लगता है कि, अगर गुरूद्रौणाचार्य को छल से ना मारा होता तो अश्‍वत्थामा पांडवों के पुत्रों को मारने जैसा पाप शायद नहीं करता क्योंकि उसने उस छल का बदला लेने के लिए ऐसा किया था।

पाण्डवों के पुत्रों की हत्या के बाद जब अश्वत्थामा भागा तब भीम ने उसका पीछा किया और अष्टभा क्षेत्र जो वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है।

यहां दोनों के बीच गदा युद्घ हुआ। यहां भीम की गदा जमीन से टकराने के कारण एक कुण्ड बन गया है।

पास ही में अश्वत्थामा कुंड भी है। यहां लोग मानते हैं कि आज भी रात के समय अश्वत्थामा मार्ग से भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाता है।

अश्वत्थामा का कैसे पड़ा यह नाम?

अश्वत्थामा के बारे में इतनी बात जानने के बाद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अश्वत्थामा का नाम कैसे पड़ा। इसकी एक बड़ी रोचक कथा है। अश्वत्थामा ने जब जन्म लिया तब उसने अश्व के समान घोर शब्द किया। इसके बाद आकाशवाणी हुई कि यह बालक अश्वत्थामा के नाम से प्रसिद्घ होगा।

पांच हजार सालों से शिव पर चढ़ा रहे जल

ऐसा माना जाता है की मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में स्थित असीरगढ़ किले की शिवमंदिर में प्रतिदिन सबसे पहले पूजा करने आते है। शिवलिंग पर प्रतिदिन सुबह ताजा फूल एवं गुलाल चढ़ा मिलना अपने आप में एक रहस्य है।

किले में स्थित तालाब में स्नान करके अश्वत्थामा शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने जाते हैं।कुछ लोगों का कहना है कि वे उतावली नदी में स्नान करके पूजा के लिए यहां आते हैं।

आश्चर्य कि बात यह है कि पहाड़ की चोटी पर बने किले में स्थित यह तालाब बुरहानपुर की तपती गरमी में भी कभी सूखता नहीं।

तालाब के थोड़ा आगे गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से खाइयों से घिरा है। इन्हीं खाइयों में से किसी एक में गुप्त रास्ता बना हुआ है, जो खंडवा जिला से होता हुआ सीधे इस मंदिर में निकलता है।

अश्वत्थामा को मिल गई मुक्ति
शिव महापुराण के अनुसार अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वे गंगा के किनारे निवास करते हैं किंतु उनका निवास कहां है, यह नहीं बताया गया है। लेकिन अश्‍वत्थामा के शाप का काल पूरा हो चुका है, क्योंकि महाभारत का युद्ध कम से कम 3,000 ईसा पूर्व होना माना जाता है। अब तक इस घटना के लगभग 5,000 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और अश्‍वत्थामा को तो 3,000 वर्ष तक ही शरीर में भटकने का शाप दिया था।

इस तरह ये दावा भी कियी जाता है कि अश्‍वत्थामा अब पृथ्वी पर नहीं है। बल्कि उसे मुक्ति मिल चुकी है।

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लेकिन इस बात का कोई पक्का परमाण नहीं है कि, अश्‍वत्थामा इस घरती पर है या उसे मुक्ति मिल गई।

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