शैलेंद्र सिंह, लखनऊ: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास ‘रुकने’ का समय नहीं है। रुकने से हमारा अर्थ है कि जब ट्रैफिक सिग्नल पर रेड लाइट नजर आती है तो हममें से कई ऐसे लोग हैं, जो बिना रुके गाड़ी लेकर निकल जाते हैं। इससे न सिर्फ ट्रैफिक नियम टूटता है बल्कि जान पर भी बन आती है।
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इसके अलावा रेड सिग्नल का समय चाहे 30 सेकेंड हो या एक मिनट हमारी गाड़ी बंद नहीं होती बल्कि चलती रहती है। इससे न सिर्फ बेवजह पेट्रोल खर्च होता है बल्कि वायु प्रदूषण भी फैलता है। लेकिन, अब इन समस्याओं से एक हेलमेट निजात दिला सकता है।
तीन छात्रों ने बनाया स्मार्ट हेलमेट
जी हां, वाराणसी के अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के तीन छात्रों विपिन मौर्या, आशीष त्रिपाठी और सुलेख कुमार निषाद ने एक स्मार्ट हेलमेट बनाया है। इससे न सिर्फ ट्रैफिक नियमों का पालन करने में मदद मिलेगी बल्कि दुर्घटना होने पर यह घायल शख्स के परिवार व एंबुलेंस को भी घटनास्थल की जानकारी भेज देगा। छात्रों ने इस हेलमेट को अशोका इंस्टीट्यूट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया के नेतृत्व में बनाया है और इसे ‘स्मार्ट यातायात हेलमेट’ नाम दिया है। अब हम बात करते हैं इस स्मार्ट हेलमेट की खासियतों की…
रेड सिग्नल पर अपने आप बंद हो जाएगी गाड़ी
bharatkhabar.com से बात करते हुए छात्रों ने बताया कि अगर आप इस हेलमेट का इस्तेमाल करेंगे तो बिना हेलमेट पहने आपकी बाइक स्टार्ट ही नहीं होगी। वहीं, चौराहे पर अगर सिग्नल रेड है तो ये हेलमेट इंजन को अपने आप ऑफ करते हुए लॉक कर देता है और जब सिग्नल ग्रीन हो जाता है तो बाइक ऑटोमेटिक अनलॉक होकर बाइक स्टार्ट हो जाती है। इससे पेट्रोल की बचत होती है।
कैसे बंद हो जाती है बाइक?
छात्रों ने बताया कि यह स्मार्ट हेलमेट चौराहे पर लगी ट्रैफिक लाइट को सेंस करता है। सिग्नल रेड होने पर हेलमेट में लगा सर्किट रिले डिस्कनेक्ट हो जाता है, जिससे बाइक बंद हो जाती है और जैसे ही सिग्नल ग्रीन होता है रिले कनेक्ट हो जाता है, जिससे बाइक स्टार्ट हो जाती है। सबसे खास बात यह है कि इस हेलमेट में एक स्विच लगा होता है, जिससे दुर्घटना होने पर हेलमेट पर दबाव पड़ने या तेजी से झटका लगने पर स्विच ऑन हो जाता है। जो इमरजेंसी नंबर पर सिग्नल भेज देता है, जिससे एंबुलेंस व परिवार को घटनास्थल की सूचना मिल जाती है।
कैसे काम करता है स्मार्ट हेलमेट?
उन्होंने बताया कि हमारा पूरा सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर के आधार पर काम करता है। इस डिवाइज में दो ट्रांसमीटर और एक रिसीवर लगा है। रिसीवर हमारी बाइक में लगता है। वहीं, दो में से एक ट्रांसमीटर हमारे हेलमेट में लगेगा, जबकि दूसरा ट्रैफिक सिग्नल पर। जैसे ही हम हेलमेट पहनेंगे पहला ट्रांसमीटर एक्टिवेट हो जाएगा। दूसरा ट्रांसमीटर चौराहे के ट्रैफिक सिग्नल पर लगा होगा और रेड सिग्नल होने पर जैसे ही बाइक का रिसीवर रेड लाइट के संपर्क में आएगा दूसरा ट्रांसमीटर इसे बंद कर देगा। इससे हमारी बाइक बंद हो जाएगी। वहीं, सिग्नल ग्रीन होने पर रिसीवर ऑन हो जाएगा और गाड़ी भी स्टार्ट हो जाएगी। छात्रों ने बताया कि रेड सिग्नल ट्रांसमीटर का रेंज अभी 50 मीटर है, जिसे और बढ़ाने पर काम किया जा रहा है।
कितने पेट्रोल की हो सकती है बचत?
अशोका इंस्टीट्यूट के छात्रों ने बताया कि उन्हें ये स्मार्ट हेलमेट बनाने में दो हफ्तों का समय लगा और इसमें करीब 12-15 हजार रुपए का खर्च आया। छात्रों के मुताबिक, किसी चौराहे पर रेड सिग्नल होने पर गाड़ी स्टार्ट रखने पर अगर 20ml पेट्रोल खर्च होता है तो एक लाख गाड़ियों से 2000 लीटर पेट्रोल एक मिनट में बर्बाद होता है। साथ ही इससे वायु प्रदूषण भी फैलता है। अगर हम प्रदेश के हर चौराहे पर रेड सिग्नल होने पर सिर्फ एक-एक मिनट के लिए गाड़ी बंद कर देंगे तो तो करोड़ों लीटर पेट्रोल सिर्फ मिनटों में ही बचाया जा सकता है। इस स्मार्ट हेलमेट की मदद से पेट्रोल की बचत होने के साथ ही प्रदूषण भी कम किया जा सकेगा।
दो-तीन महीनों में मार्केट में लाने की तैयारी
रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंचार्ज श्याम चौरसिया ने बात करते हुए जानकारी दी कि इस स्मार्ट यातायात हेलमेट को आगामी दो से तीन महीने में मार्केट में लाने की तैयारी की जा रही है। इस स्मार्ट हेलमेट की कीमत करीब 3500 रुपए रखी जाएगी। साथ ही हेलमेट की ट्रांसमीटर रेंज को बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हेलमेट यातायात नियमों का पालन कराने के लिए बेहद किफायती साबित होगा। साथ ही इससे पट्रोल बचत, प्रदूषण और सड़क हादसे में कमी आएगी।