अपने बयानों के कारण आए दिन सुर्खियां बटोरने वाले एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी आस्तीन पर देशभक्ति लेकर चलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। सिनेमा घरों में खड़े न होने पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी को भी अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान पर खड़े होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सहमती जताई है।
ये बात सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। साथ ही उसने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वो अपने फैसले की समीक्षा कर सकता है। जिसमें एक बाध्यता को खत्म किया जा सकता है कि जिसमें फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजना और उस पर सभी का खड़ा होना अनिवार्य था। इस मामल में लोकसभा सदस्य ने कहा कि सिनेमा हॉल देशभक्ति दिखाने की सही जगह नहीं है और अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को कहा तो उन्हें लगता है कि इसमें काफी दम है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों सिनेमा हॉल के अंदर किसी को देशभक्ति प्रस्तुत करनी चाहिए।
ओवैसी ने कहा कि लोग हॉल में फिल्म देखने के लिए जाते हैं और उन्हें नहीं लगता कि लोगों को सिनेमा हॉल के अंदर देशभक्ति दिखाने की जरूरत भी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो टूक सुनाते हुए कहा कि अगर सरकार चाहे तो फ्लेग कोड में बदलाव कर सकती है। लेकिन वो सुप्रीम कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर न चालाए। कोर्ट का ये भी कहना है कि अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं होता है तो उसे लेकर ये बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि वो कम देशभक्त है या उस उसके मन में देशभक्ति नहीं है। केंद्र सरकार को कोर्ट ने जवाब देने के लिए 9 जनवरी तक का समय दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2016 में देश में सभी सिनेमा हॉल में पिक्चर से पहले राष्ट्रगान को बजाना अनिवार्य कर दिया था।