नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को कपड़ा क्षेत्र में जीएसटी की दर को शून्य किये जाने से इनकार करते हुए कहा कि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट चैन प्रभावित होगी और स्थानीय उद्योग को आयात सस्ता होने के चलते नुकसान उठाना पड़ेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा कि कपड़ा व्यापारियों की मुख्य मांग है कि कपड़े पर कोई कर न लगाया जाए। हालांकि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि वित्तमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘आम तौर पर, जीएसटी दरों पूर्व-जीएसटी कर के बराबर या उससे कम हैं| इसलिए, कपड़े की कीमत ऊपर जाने की संभावना नहीं है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने के बाद से ही कपड़ा व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं। जिसके चलते दो सप्ताह के अंतराल में देशभर के कपड़ा व्यापार को अब तक करीब 40 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। अकेले गुजरात की बात की जाए तो वहां इस हड़ताल से अब तक 10 हजार करोड़ के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
वहीं जेटली ने संसद में कहा कि कपड़े पर शून्य जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट चेन को तोड़ देगा और इससे वस्त्र व निर्मित समान निर्माताओं पिछले चरणों में कर का क्रेडिट प्राप्त नहीं होगा। इससे आयातित वस्त्रों पर शून्य रेटिंग होगी जबकि घरेलू कपड़ों पर इनपुट करों का बोझ जारी रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 2003-04 के दौरान पूरे कपड़ा क्षेत्र को केन्द्रीय केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अंतर्गत लगाया गया था। कपड़ा क्षेत्र के लिए जीएसटी दर संरचना 3 जून को आयोजित जीएसटी परिषद की बैठक में विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें परिषद ने कपड़ा क्षेत्र के लिए विस्तृत दर संरचना की सिफारिश की थी।