- भारत खबर || नई दिल्ली
Arti Saha का डूडल बनाकर गूगल ने एक बार फिर से उन्हें चर्चा में ला दिया। आरती साहा जलपरी के नाम से फेमस थी इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली एशियाई महिला तैराक थी। आपको बता दें कि, आरती साहा इंग्लिश चैनल कि 67.5 किलोमीटर की दूरी तैरते हुए 16 घंटे 20 मिनट में पार कर गई थी।
आरती साहा का परिचय || Who is Arati Saha
आरती साहा Arti Saha एक तैराक है और उनका जन्म 24 सितंबर 1940 को कोलकाता में हुआ था। महज 5 वर्ष में ही तैराकी का गोल्ड मेडल अपने नाम कर लेने वाली आरती साहा ने तैराकी की कला हुगली नदी के किनारे सीखा। इसके बाद उन्होंने भारत के प्रसिद्ध सचिन नाग से प्रशिक्षण लिया। साहा 1952 में फिनलैंड के हेलसिंकी में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में नए स्वतंत्र भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली टीम की सबसे कम उम्र की सदस्य थीं। तब उनकी उम्र मात्र 11 साल थी।
आपको बता दें कि आरती साहा Arti Saha ने महज 18 साल की उम्र में ही इंग्लिश चैनल पार करने का पहला प्रयास किया था इस प्रयास में हालांकि उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई लेकिन वह हार नहीं मानी 1 महीने तक कड़ी मेहनत करने के बाद दूसरे प्रयास में 29 सितंबर 1959 को 16 घंटे 20 मिनट में इंग्लिश चैनल को पार कर अपने नाम विश्व रिकॉर्ड दर्ज करा लिया।
आरती साहा Arti Saha की उपलब्धियां
भारतीय डाक ने उनके जीवन से महिलाओं को प्रेरित करने के लिए साल 1998 में एक डाक टिकट भी जारी किया। आरती का निधन 53 साल की उम्र में 24 सितंबर 1994 को हुआ था. आज गूगल ने इसी महान शख्सियत की जयंती को अपना डूडल समर्पित किया है। पूरे भारत में आरती साहा को लोग जलपरी के नाम से जानने लगे और देश का सीना गर्व से ऊपर करने वाली आरती साहा को 1960 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला थीं।
English Channel क्या है?
साथियों आप सभी के मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इंग्लिश चैनल क्या है। दर्शन इंग्लिश चैनल पानी की एक लंबी ठंडी धारा है जो उत्तरी फ्रांस और दक्षिण इंग्लैंड को एक दूसरे से अलग करते हैं। अटलांटिक महासागर और उत्तरी सागर को जोड़ने का भी काम यही इंग्लिश चैनल करता है इसमें पानी का तापमान बहुत कम होने की वजह से बहुत ठंडा होता है।
इसमें हर तरह का आसानी से अपना प्रदर्शन नहीं कर सकता। यही वजह है कि इस इंग्लिश चैनल को पार करने के लिए पूरे विश्व के अलग-अलग देशों से लोगों की भीड़ इकट्ठा रहती है लेकिन इसमें फतेह उसी को मिलता है जिनके हौसलों में जान होती है।