नई दिल्ली। भारतीय सेना के प्रथम कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग अब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने की है। रावत ने कहा कि देश में अन्य लोगों को जब यह सम्मान दिया जा सकता है तो अभी तक फील्ड मार्शल करिअप्पा को यह सम्मान क्यूं नहीं दिया गया। अब वक्त आ गया है कि करिअप्पा के लिए यह सम्मान दिया जाए इसकी आवाज उठाने का,क्योंकि उन्होने कई मोर्चों पर भारतीय सेना का सफल नेतृत्व किया था।
आजाज भारत में प्रथम बार कमाण्डर इन चीफ के पद पर आसीन हुए फील्ड मार्शल करिअप्पा खेल के साथ आम जीवन में बहुत ही मिलन सार थे। सैन्य जीवन गुजारने के साथ वह बाहर के लोगों के लिए आम नागरिक की तरह ही मिलते थे। उनके करीबी उनको चिम्मा के नाम से भी बुलाते थे। इन्होने अपनी पूरी पढाई प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास से पूरी की थी। सेना में कमीशन पाने वाले वह पहले भारतीय अधिकारी थे। आजादी के बाद जब वह इस पद पर आसीन हुए तो कई युद्ध मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था।
सन 1949 में के एम करिअप्पा को आजाद भारत का पहला कमाण्डर इन चीफ बनाया गया था इस पद पर वह 1953 तक बने रहे । करिअप्पा के बाद इसी पद पर सैम मानेकशा की नियुक्ति की गई थी। इन दोनों सैन्य अधिकारियों को फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा भी गया था।