कोरोना वायरस भयावह रुप ले चुका है. इसकी ये वजह ये है कि ये वायरस नया है और इसकी दवा अभी तक नहीं बन पाई है. कोरोना वायरस को समझने के लिये दुनिया भर के विज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. आए दिन कोई न कोई स्टडी सामने आ रही है. कोरोना सीधा फेफड़ों पर प्रभाव डालता है जिससे की सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और ऑक्सीजन लैवल ड्रॉप होने लगता है. जैसा की सभी जानते हैं कि कोरोना मुंह से और आंखों से हमारे शरीर में प्रवेश करता है. वहीं एक स्टडी में दावा किया गया है कि मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को कोरोना होने पर मौत का खतरा 8.8 गुना तक है.
मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को खतरा
कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी एक रिसर्च में दावा किया है कि सामान्य मरीजों के मुकाबले मसूड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने की आशंका 3.5 गुना ज्यादा रहती है. साथ ही साथ शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि मसूड़ों में दिक्कत रहती है तो कोरोना होने पर ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट लेने की आशंका 4.5 गुना होती है.
एक और रिसर्च में भी किया गया यही दावा
ब्रिटिश डेंटल जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च में भी दावा किया गया है. ये रिसर्च जून 2020 में की गई थी. इसमें कहा गया है कि खराब ओरल हेल्थ यानी दांतों और मसूड़ों की खराब सेहत वाले लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण ज्यादा पाये गये. शोधकर्ताओं ने बताया कि फेफड़ों के संक्रमण के दौरान मुंह में होने वाले लार या रक्त के फेफड़ों में जाने का खतरा होता है, जिससे संक्रमण वहां तक पहुंच सकता है.
ओरल हेल्थ के लिये करें ये तीन उपाय
1. खाने में फल और सब्जियों को शामिल करें. इनके मिनरल्स मसूड़ों को बीमारियों से बचाते हैं और मुंह के कैंसर का खतरा कम होता है.
2. कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया मीठे खाद्य पदार्थों को एसिड में बदलते हैं. इसलिये मीठा खाने के 5 मिनट के अंदर पानी से मुंह साफ करें.
3. ब्रश को दांतों और मसूड़ों पर लगभग 45 डिग्री एंगल पर रखकर घुमावदार ऊपर-नीचे करना चाहिए. मसूड़ों और दांतों को नुकसान का खतरा घटता है.