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देहरादून में छठ पूजा के अन्तिम दिन उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य

देहरादून में छठ पूजा के अन्तिम दिन उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य

देहरादून में छठ पूजा के अन्तिम दिन उगते सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया। संसार में शक्ति अनेक रुपों में पाई जाती है। शक्ति से ही अस्तित्व और गति संभव है। यह शक्ति शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, प्राकृतिक अनेक रुपों में प्राणी और प्रकृति को मिलती है।

 

देहरादून में छठ पूजा के अन्तिम दिन उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य
देहरादून में छठ पूजा के अन्तिम दिन उगते सूर्य को व्रतियों ने दिया अर्घ्य

 

हिन्दू धर्म में पूजित पांच प्रमुख देवता श्री गणेश, शिव, शक्ति, विष्णु और सूर्य भी इसी शक्ति के ही अलग-अलग रुप हैं। इनमें सूर्य प्राणशक्ति देने वाले देवता के रुप में पूजित हैं क्योंकि सूर्य ऊर्जा और रोशनी के रुप में शक्ति का ऐसा भण्डार है, जिसके बिना मानव और प्रकृति के अस्तित्व की कल्पना संभव नहीं। धार्मिक नजरिए से सूर्य स्वास्थ्य, बल, समृद्धि के देवता माने जाते हैं। इसीलिए छठ पूजा में सूर्य और प्रकृति की पूजा की जाती है।

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छठ व्रत का अंतिम खंड उगते सूर्य को अर्घ देने का होता है। कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पुन: संध्या काल की तरह डालों में पकवान, नारियल, केला, मिठाई बांस की टोकरी में भर कर नदी तट पर लोग जमा होते हैं।व्रत करने वाले सुबह के समय उगते सूर्य को आर्घ्य देते हैं।सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। अंकुरित चना हाथ में लेकर छठ व्रत की कथा कही और सुनी जाती है। कथा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।अंत में व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं। फिर सभी अपने अपने घर लौट आते हैं।व्रत करने वाले इस दिन परायण करते हैं।

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दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले छठ महापर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है. अथर्ववेद में भी इस पर्व का उल्लेख है। यह ऐसा पूजा विधान है, जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से मानव की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। माताएं अपने बच्चों व पूरे परिवार की सुख-समृद्धि, शांति व लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।यह व्रत काफी कठिन होता है और व्रत संबंधी छोटे-छोटे कार्य के लिए भी विशेष शुद्धता बरती जाती है। लोग इस पर्व को निष्ठा और पवित्रता से मनाते हैं।यह व्रत रामायण और महाभारत काल से भी अपना जुड़ाव रखता है।

पर्व भारतीय सभ्यता और संस्क़ृति के महत्वपूर्ण स्तम्भ है। इनमें भारतीय परिवेश और आध्यत्मिकता के साथ वैज्ञानिकता के समावेश की झलक देखने को मिलती है।छठपर्व भारत के ग्रामीण पृष्ठभूमि की झलक का अनुपम नजारा है।जो भक्ति के साल लोकआस्था को दर्शाता है।

देखें वीडियोः

 

महेश कुमार यादव

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