नई दिल्ली। जेएनयू में करीब तीन साल पहले देशविरोधी नारेबाजी की जांच के बाद आज पटियाला हाउस कोर्ट में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल चार्जशीट दाखिल करने वाली है। चार्जशीट में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 लोगों के नाम शामिल है। जांच एजेंसी ने इस केस में पूरी तैयारी के साथ चार्जशीट तैयार की है। इस मामले के गवाहों के बयान सीआरपीसी की ऐसी धारा के तहत दर्ज किए गए हैं कि बयान से पलटने पर उन्हें सजा मिल सकती है। पुलिस ने इसके साथ ही फरेंसिक और फेसबुक डेटा के जरिए भी साक्ष्य जुटाए हैं। आइए जानते हैं कि चार्जशीट में क्या-क्या है अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अर्निबान भट्टाचार्य भी हैं।
बता दें कि चार्जशीट में जिन अन्य लोगों के नाम शामिल हैं, उनमें कश्मीर के रहने वाले आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, खालिद बशीर भट हैं। चार्जशीट में 36 आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाया। पुलिस रिपोर्ट में तीन साल पहले जेएनयू में 50 लोगों की भीड़ द्वारा ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह’ नारेबाजी के विडियो पर फरेंसिक साक्ष्य भी पेश किए हैं। रिपोर्ट में जेएनयू में देशद्रोही नारे की पुष्टि की गई है। आईपीसी के सेक्शन 124A (राजद्रोह) सेक्शन 147 (दंगा) और सेक्शन 149 (गैर कानूनी तरीके से एकत्र होना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
वहीं आईपीसी सेक्शन 124A के तहत कोई भी आदमी यदि देश के खिलाफ लिखकर, बोलकर, संकेत देकर या फिर अभिव्यक्ति से विद्रोह करता है या फिर नफरत फैलाता है या ऐसा करने की कोशिश करता है तब मामले में आईपीसी की धारा-124A के तहत केस बनता है। इसके तहत दोषी पाए जाना वाले को अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। चार्जशीट के अनुसार कार्यक्रम के आयोजन के लिए उचित आदेश नहीं लिया गया था। साथ ही जब वहां मौजूद लोगों को इस बारे में बताया गया तो वे उत्तेजित हो गए। कन्हैया कुमार प्रदर्शन का नेतृत्व किया था और भीड़ को आगे ले गए थे और भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी थी। जो 9 फरवरी 2016 को घटनास्थल पर मौजूद थे उन लोगों की पहचान फेसबुक डेटा का विश्लेषण और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए की गई। चार्जशीट में जेएनयू के कुछ कर्मचारी और गार्ड को भी इस केस में गवाह के तौर पर शामिल किया गया है।