नई दिल्ली। पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच से करीब 9.9 करोड़ रुपए का एक और फ्रॉड सामने आया है। सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है। पीएनबी की इसी ब्रांच से नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से जुड़ा करीब 13 हजार करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ। सीबीआई का कहना है कि इस मामले में चांदरी पेपर एंड अलायड प्रॉडक्ट्स एंड प्राइवेट लिमिटेड को फर्जी तरीके से एलओयू जारी किया।
बता दें कि सीबीआई ऑफिशियल्स के मुताबिक पीएनबी के रिटायर्ड कर्मचारी गोकुलनाथ शेट्टी और ब्रांच के सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खरात के खिलाफ जांच एजेंसी ने नई एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में सीआई ने कंपनी और उसके डायरेक्टर्स को भी आरोपी बनाया है। नीरव मोदी-मेहुल चौकसी मामले में इन दोनों बैंक कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि 9 मार्च को एफआइ्रआर दर्ज कर ने के बाद जांच एजेंसी ने कई जगहों पर छापेमारी की है। सीबीआई का आरोप है कि शेट्टी और खरात ने कंपनी के डायरेक्टर आदित्य रासिवासिया और ईश्वरदास अग्रवाल के साथ मिलकर यह आपराधिक षडंयत्र किया। शेट्टी 31 मई 2017 को रिटायर हो चुका है। 14 फरवरी को पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से जारी फर्जी लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग्स (एलओयू) के जरिए 11,200 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया था। इसकी जानकारी पीएनबी की ओर से शेयर बाजार को दी गई रिपोर्ट से मिली थी। बाद में फर्जीवाड़े की रकम बढ़कर 13,000 करोड़ रुपए हो गई। इस घोटाले से देशभर में हड़कंप मच गया है।
साथ ही जांच एजेंसी का आरोप है कि पीएनबी के इस फ्रॉड में एसबीआई एंटवर्प, बेल्जियम के फेवर में 1.4 मिलियन डॉलर (करीब 9.09 करोड़ रुपए- 64 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर) के दो लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किए गए। इन एलओयू के पेमेंट की तारीख 20 जनवरी 2020 थी। आरोप है कि एलओयू जारी करने के लिए न तो कंपनी के पास क्रेडिट लिमिट उपलब्ध थी न ही बैंक की ओर से 110 फीसदी मार्जिन को बरकरार रखा था। बता दें, एलओयू एक ऐसी सर्विस है जिसमें कस्टमर को विदेशी बैंक को तय रकम के भुगतान की बैंक गारंटी होती है। एलओयू एक तरह से वर्चुअल डिमांड ड्रॉफ्ट होता है।