नई दिल्ली। जनलोकपाल बिल के समर्थक अन्ना हजारे ने केंद्र की मोदी सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये सिर्फ आश्वासनों की सरकार है। उन्होंने कहा कि देश में 26 जनवरी 1950 से लोकतंत्र आ गया, अंग्रेज देश से चले गए, लेकिन काले अंग्रेज अभी भी हैं। यहां पर नेता, मंत्री व अधिकारी कहने के लिए तो जनता के सेवक है, लेकिन अब वो सभी सेवक मालिक हो गए हैं। लखनऊ के कांशीराम आवास कॉलोनी में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संघर्ष से मजबूत होता है, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकतंत्र को कमजोर किया है और इस सरकार का ध्यान काम करने से ज्यादा विरोधियों की आवाज दबाने में लगा हुआ है।
हजारे ने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती का कानून 2013 में ही पारित हो चुका है, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी इस पर अमल नहीं किया गया है। नई सरकार आई तो थोड़ी उम्मीद जागी, लेकिन इतने लंबे समय तक कानून को लटकाए रखने की वजह से मोदी सरकार की मंशा पर पूरे देश को शक पैदा होने लगा है। सरकार इसके प्रावधानों में संशोधन करके उसके पूरे उद्देश्य को ही खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रणाली में सुधार के बिना न तो राजनीतिक भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगा और न ही जनहित में कार्य होगा, क्योंकि संविधान में पक्ष और पार्टी न होनें के बावजूद चुनावी खामी के कारण ही जनता की सरकार बनने के बजाये दल की सरकार बनती है इसलिए सरकारें जनहित के बजाए दलहित में काम करती है।