आगरा। साल 2011 में जनलोकपाल को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरने वाले अन्ना हजारे ने एक बार फिर ताजनगरी आगरा में हुंकार भरी। यहां के शहीद स्मारक पर पहुंचे अन्ना हजारे ने कहा कि अब जनलोकपाल के लिए निर्णायक लड़ाई शुरू होगी। अन्ना हजारे ने आगरा में किसानों के मुद्दे और जनलोकपाल को लेकर एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 70 साल बीत गए, लेकिन कहां है वो लोकतंत्र जिसपर लोगों का अधिकार है। 22 साल में 12 लाख लोगों ने आत्महत्या की, लोग खाने के लिए जी रहे हैं,या इसलिए जी रहे हैं कि क्या-क्या खाए। उन्होंने कहा कि 25 साल की उम्र में मैने आत्महत्या की सोच ली फिर विवेकानंद की किताब मिली पढ़ी और मेरी जिंदगी बदल गई। किताब पढ़ने के बाद मैंने गांव और देश सेवा का संकल्प लिया।
उन्होंने कहा कि देश सेवा के लिए शादी नहीं और मुझे 45 साल हो गए हैं मेरा घर छोड़े। मेरे भाई के बच्चों का नाम क्या है मुझे नहीं पता, मेरे बैंक अकाउंट की किताब कहां रखी है मुझे नहीं पता। मंदिर में रहता हूं सोने के लिए एक बिस्तर और खाने के लिए एक प्लेट है, लेकिन मेरे जीवन में जो आनंद है वो लखपति करोड़पति के पास भी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रकृति का देहन करके विकास नहीं विनाश होगा। अन्ना ने अपने गांव की मिसाल देते हुए कहा कि हमारे गांव के आर्थिक क्षेत्र में बहुत परिवर्तन आया है। किसानों की हालत ऐसी हो गई है कि अब उनके पास झोपड़े नहीं, बल्कि पक्के और भरे-पूरे घर हैं।
अन्ना ने कहा कि ये भी उद्योगपतियों की सरकार नहीं चाहिए। न मोदी चाहिए न राहुल। इन दोनों के दिमाग में उद्योगपति बसे हैं। हमें ये दोनों नहीं चाहिए। हमे ऐसी सरकार चाहिए जिसके दिमाग में उद्योगपति नहीं किसान हो। उन्होंने कहा कि अब मैं अपने आंदोलन से दूसरा केजरीवाल नहीं बनने दूंगा। मनमोहन सरकार ने लोकपाल के ड्राफ्ट को कमजोर कर दिया। हर राज्यों में लोकायुक्त लाने के कानून बदल दिए। मनमोहन शरीफ लगते थे लेकिन उन्होंने भी गड़बड़ कर दी। बाद में मोदी सरकार ने धारा 44 में परिवर्तन कर दूसरा बिल ले आई जो और कमजोर हो गया। ऐसे में फिर आंदोलन की जरूरत है। ये आंदोलन 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू होगा।