दरअसल पाकिस्तान में रहने वाले पश्तूनो का कहना है कि वहां की सेना की कार्रवाई के दौरान पिछले कुछ सालों में कई पश्तून लापता हो चुके हैं तो कईयो को मारा जा चुका है। पाक सेना वहां रह रहे पश्तूनों का दमन कर रही है और उनके मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही है। इनका आरोप है कि पाकिस्तान उनके साथ गुलामों जैसा सलूक कर रहा है। ऐसे में युवा पश्तून नेता मंजूर पश्तीन उनके लिए एक मसीहा बनकर सामने आए हैं।
पिछले एक दशक में अफगानिस्तान से सटी सीमा पर पाकिस्तानी सेना की ओर से आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की वजह से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि हजारों पश्तून बेघर हो चुके हैं। पाकिस्तानी आर्मी और वायुसेना के हमलों की वजह से हजारों पाकिस्तानी पश्तून देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो गए और कुछ अपनी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान जाकर बस गए। इसी को देखते हुए पश्तून प्रटेक्शन मूवमेंट (पीटीएम) का जन्म हुआ।