अब तक उत्तराखंड में हुई प्राकृतिक आपदा की वजह ग्लेशियर टूटने को माना जा रहा था, पर इसे लेकर बेहद चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
दरअसल, बीते रविवार को चमोली में हुई त्रासदी की असली वजह पता करने के लिए इसरो समेत देश के जहां तमाम वैज्ञानिक संस्थान पुरजोर कोशिशे कर रहे हैं, वहीं अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहीत कई यूरोपीय देशों के वैज्ञानिक भी इस दिशा में अध्ययन कर रहे हैं। एसे में अमेरिकन की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्था जियोफिजिकल यूनियन ने अपनी स्टडी के आधार पर ये दावा किया है कि तपोवन क्षेत्र में ये आपदा ग्लेशियर टूटने से नहीं बल्कि लाखों टन बर्फ नीचे खिसकने से हुई है।
जियोफिजिकल की इस रिपोर्ट के अनुसार, धौली गंगा नदी के मूल नंदा देवी के पहाड़ों पर बीते दिनो भारी बर्फबारी हुई थी, जिसके कारण वहां काफी मात्रा में बर्फ जम गई थी। इसके बाद जब 6 फरवरी को मौसम साफ हुआ और तापमान बढ़ा तो वो पर्फ पिघलकर नीचे खिसक गया, जोकि सेटेलाइट से मिली तस्वीरो में साफ नजर आ रही है। इसी बर्फ के गिरकर पिघलने के कारण नदी में प्रलय की स्थिति बन गई।
वहीं अमेरिकन जियोफिजिकल संस्था के वैज्ञानिकों ने ये भी चेतावनी दी है कि जिस तरह से भरत समेत पूरी दुनिया में तापमान परिर्वतन हो रहा है, ऐसे में जलवायु परिवर्तन के और भी दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
गौरतलब है कि चमोली त्रासदी में अब तक 174 लोग लापता हैं और वहीं मरने वालों की संख्या 32 हो गई है, जबकि टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए राहत बचाव कार्य जारी है।